
'रीठा', 'हल्दू', 'काला शीशम', 'खेजरी' ये उन पौधों के नाम हैं जो कभी देश की राजधानी दिल्ली के पर्यावरण का हिस्सा थे. लेकिन बढ़ते शहरीकरण और विकास का खामियाज़ा कहीं न कहीं दिल्ली की हरियाली यानि पेड़ पौधों को उठाना पड़ रहा है. जिसके चलते दिल्ली में कई ऐसे पौधे है जो वीलुप्त हो चुके हैं.
5 जून को पूरे शहर में जगह जगह पर्यावरण दिवस मनाया गया. तुग़लकाबाद बायो डाइवर्सिटी पार्क में पर्यावरण दिवस खास तरीके से मनाया गया. इस मौके पर लोकली विलुप्त हो चुके 20 ऐसे पौधे लगाये गए. इस मौके पर तुग़लकाबाद के सांसद रमेश बिधूड़ी ने लोगों से वृक्षारोपण कर के पर्यावरण को बचाने की अपील की. .
वृक्षारोपण के लिए किए गए सारे प्रयास विफल
उन्होंने बताया- '1972 स्वीडन में पहली बार पर्यावरण दिवस मनाया गया. 44 साल से हम प्रयास कर रहे हैं. लेकिन हमारे सारे प्रयास सब नेगेटिव दिशा में गए, यहां आए लोगों से मेरी अपील है कि एक पौधा ज़रूर लगाए और मानसून तक उसमे रोज़ पानी डाले'. वहीं पर्यावरणविद फैय्याज खुदसर ने बताया- 'तुग़लकाबाद में आज का दिन खास है. यहां पर ज्यादातर कीकर के पेड़ हैं जो वेजीटेशन को काफी नुकसान पहुंचाते हैं. यहां हमने 20 पौधे लगाए हैं और आने वाले 5 से 6 सालों में इस बायो डाइवर्सिटी पार्क की सूरत बदल जाएगी. साथ ही आसपास के गांव से आने वाला गन्दा पानी यहां नाले में जमा हो रहा है जिसे नीले हौज़ की तर्ज पर वेटलैंड के जरिये रिवाइव किया जायेगा'.