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दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर रह चुके हैं 2G केस में फैसला सुनाने वाले जज ओपी सैनी

सैनी के बारे में एक और उदाहरण ये है कि 19 मार्च 2017 को उन्होंने सीआरपीसी के सेक्शन-19 के तहत अपने स्पेशल पावर का उपयोग करते हुए भारती एयरटेल के सुनील मित्तल, हचिंसन मैक्स के असीम घोष और स्टर्लिंग सेलुल्यर के रवि रुइया को समन जारी किया था.

दिल्ली स्थित पटियाला कोर्ट दिल्ली स्थित पटियाला कोर्ट
नंदलाल शर्मा
  • नई दिल्ली ,
  • 21 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 1:35 PM IST

जस्टिस ओ पी सैनी की अगुवाई वाली स्पेशल कोर्ट ने गुरुवार को ए राजा, द्रमुक सांसद कनिमोझी और अन्य लोगों को टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले में बरी कर दिया. यह घोटाला 2007-08 में टू-जी स्पेक्ट्रम के आवंटन से जुड़ा हुआ है, जिसमें कैग की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1 लाख 76 हजार करोड़ का नुकसान हुआ था. मामले में ट्रायल की शुरुआत 2011 में हुई थी. कोर्ट ने सीबीआई के केस में 17 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे, जिसके तहत आरोपियों को 6 महीने की सजा के साथ उम्रकैद हो सकती थी.

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दिल्ली सरकार की ओर से मान्यता प्राप्त जज ओपी सैनी ने इस मामले को तब संभाला, जब सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जीएस सिंघवी और एके गांगुली की खंडपीठ ने सरकार को स्पेशल कोर्ट के गठन का आदेश दिया.

बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक जस्टिस सैनी ने अपना करियर 1981 में दिल्ली पुलिस सब इंस्पेक्टर के रूप में शुरू किया था. सैनी को स्पेशल POTA जज के रूप में जमकर ख्याति मिली. सैनी ने ही रेड फोर्ट शूट आउट केस में फैसल सुनाया था. मामले में सभी आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई गई थी.

बेहद अनुशासित ओपी सैनी के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने एक बड़े कॉरपोरेट घराने के एक परिवारिक सदस्यों को डांट दिया था. और चेतावनी दी थी कि वे आपस बातचीत न करें, जिससे कोर्ट की कार्यवाही में बाधा उत्पन्न हो रही थी.

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यहां पढ़िए ओपी सैनी के बारे में अनजाने तथ्य

1. 62 वर्षीय जस्टिस ओम प्रकाश सैनी ने अपना करियर सब इंस्पेक्टर के रूप में शुरू किया था. हरियाणा के रहने वाले सैनी ने 6 साल की पुलिस सर्विस के बाद ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट परीक्षा दी. उस साल चुने गए प्रतिभागियों में ओपी सैनी एकमात्र सफल उम्मीदवार थे.

2. 2जी केस से पहले जस्टिस सैनी ने कॉमनवेल्थ गेम्स से जुड़े मामलों की सुनवाई की थी. जस्टिस सैनी के फैसले ने सुरेश कलमाड़ी, ललित भनोट, वीके वर्मा, केयूके रेड्डी, प्रवीण बख्शी और देवरूख शेखर को सलाखों के पीछे पहुंचाया.

3. जस्टिस सैनी को एक सख्त मिजाज का आदमी माना जाता है. नवंबर 2011 में जब ये माना जा रहा था सैनी डीएमके प्रमुख करूणानिधि की बेटी को जमानत दे देंगे. सैनी ने सबको चौंकाते हुए याचिका ही खारिज कर दी. याचिका में कहा गया था कि कनिमोझी महिला हैं और पहले ही कई महीने जेल में काट चुकी हैं. सैनी ने दलील दी कि कनिमोझी एक प्रभावशाली राजनेता हैं और वे गवाहों की सुरक्षा को खतरे में नहीं डाल सकते.

4. सैनी के बारे में एक और उदाहरण ये है कि 19 मार्च 2017 को उन्होंने सीआरपीसी के सेक्शन-19 के तहत अपने स्पेशल पावर का उपयोग करते हुए भारती एयरटेल के सुनील मित्तल, हचिंसन मैक्स के असीम घोष और स्टर्लिंग सेलुल्यर के रवि रुइया को समन जारी किया था.

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5. 22 दिसंबर 2000 को लाल किला आतंकी धमाके से दहल उठा. आरिफ और उसके सहयोगियों ने लाल किले में धमाका करते हुए आर्मी कैंप पर हमला कर दिया. हमले में 3 जवान मारे गए. जज ओपी सैनी ने मुख्य आरोपी मोहम्मद आरिफ को फांसी की सजा दी, जबकि 6 अन्य को उम्र कैद की सजा सुनाई. सैनी ने अक्टूबर 2005 में आरिफ को मौत की सजा सुनाई. सैनी के इस फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा.

6. तथ्य ये है कि टू-जी केस से भी पहले सैनी ने करप्शन और हेरीफेरी के मामले की सुनवाई की है. इनमें नेशनल एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (NALCO) रिश्वत घोटाला केस है, जिसमें उन्होंने नाल्को के चेयरमैन ए.के. श्रीवास्तव को बेल देने से इनकार कर दिया था.

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