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केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से लवासा कॉरपोरेशन को जारी की गयी कारण बताओ नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई करते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को इस बात के संकेत दिए कि वह इस मामले में सुनवाई का दायरा बढ़ाना चाहता है ताकि हिल सिटी परियोजना की वजह से विस्थापित होने वाले लोगों के मुद्दों को भी इसमें शामिल किया जा सके.
गौरतलब है कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने बीते 25 नवंबर को पुणे जिले के 18 गांवों में फैले लवासा परियोजना में निर्माण गतिविधियों पर रोक लगा दी थी. मंत्रालय से पर्यावरणीय मंजूरी नहीं लेने के कारण लवासा की निर्माण गतिविधियों पर रोक लगायी गयी थी.
लवासा की ओर से उच्च न्यायालय की शरण लिए जाने के बाद मंत्रालय ने अंतरिम आदेश दिए जाने के बारे में सुनवाई की. हालांकि, स्थगन पर लवासा को कोई राहत नहीं दी गयी.
न्यायमूर्ति बी एच मर्लापल्ले और यू डी साल्वी की खंडपीठ ने कहा कि लवासा की याचिका को अलग रखकर सुनवाई नहीं की जा सकती. गौरतलब है न्यायमूर्ति मर्लापल्ले और साल्वी की खंडपीठ ने पहली बार इस मामले की सुनवाई की क्योंकि पहले इस मामले की सुनवाई कर रही पीठ ने इस मामले की सुनवाई से अपने कदम पीछे लेने का फैसला किया था.