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ब्लैक होल्स पर ऐतिहासिक शोध का नेतृत्व कर रहे हैं असम के एक वैज्ञानिक

रोंगमन बोरदोलोई और कैंब्रिज स्थित एमआईटी में उनके अनुसंधानकर्ताओं के दल ने नासा के हब्बल स्पेस टेलीस्कोप की मदद से पाया कि आकाशगंगा के गहरे ब्लैक होल से निकली गैसों के गुबार यानी फर्मी बबल्स के उत्तरी अद्र्ध हिस्से से कई सुदूर क्वासरों को देखा जा सकता है.

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BHASHA
  • जोरहाट,
  • 09 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 7:42 PM IST

भारतीय वैज्ञानिक के नेतृत्व वाले एक नए शोध में पाया गया है कि आकाशगंगा के वृहद ब्लैकहोल में 60 लाख साल पहले गैस का एक गुबार समा गया था और फिर लाखों सूर्यो के वजन वाला एक बड़ा बुलबुला बाहर निकलकर आया था.

रोंगमन बोरदोलोई और कैंब्रिज स्थित एमआईटी में उनके अनुसंधानकर्ताओं के दल ने नासा के हब्बल स्पेस टेलीस्कोप की मदद से पाया कि आकाशगंगा के गहरे ब्लैक होल से निकली गैसों के गुबार यानी फर्मी बबल्स के उत्तरी अद्र्ध हिस्से से कई सुदूर क्वासरों को देखा जा सकता है. हब्बल स्पेस टेलीस्कोप ने क्वासर की रोशनी का परीक्षण किया ताकि गैस की गति से जुड़ी जानकारी प्राप्त की जा सके और यह पता लगाया जा सके कि गैस पृथ्वी के पास आ रही है या दूर जा रही है.

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पदार्थ की गति के आधार पर शोध दल ने यह आकलन किया कि एक उर्जापूर्ण घटना से बने ये बुलबुले लगभग 60 से 90 लाख साल पहले बने थे. बोरदोलोई ने कहा, एक इंसानी जीवन में 60 से 90 लाख साल एक बड़ी अवधि लग सकती है लेकिन यदि अंतरिक्षीय समयावधि के तौर पर देखें तो यह पलक झपकने जैसा है.

इस मापक का अंदाजा देने के लिए आपको बता दूं कि ब्रह्मांड लगभग 13.7 अरब साल पुराना है और डायनासोर लगभग 6.6 करोड़ साल पहले लुप्त हो गए थे. तो आकाशगंगा के वृहद ब्लैक होल में जो अंतिम ग्रास गया था, वो डायनासोरों के विलुप्त होने के बाद गया था. उन्होंने कहा, हमने पहली बार इनमें से एक बुलबुले में ठंडी गैस की गति का पता लगाया है. इससे हम गैस के वेग को आंक सके और यह गणना कर सके कि बुलबुलों का निर्माण कब हुआ.

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बोरदोलोई ने कहा, ये बेहद शक्तिशाली और उर्जावान घटना थी. शायद ऐसा होता हो कि गैस का एक गुबार ब्लैक होल में जाता हो, जिससे पदार्थ फूटकर निकलता हो और गर्म गैस के दोहरे अंश बन जाते हो. ये एक्स-रे और गामा-रे संबंधी पर्यवेक्षणों में देखे गए. उसके बाद से ही ब्लैक होल चीजें निगल रहा है. ब्लैक होल अंतरिक्ष का एक सघन और ठोस क्षेत्र है, जिसमें गुरूत्वीय क्षेत्र होता है.

ये गुरूत्वीय क्षेत्र इतना तीव्र होता है कि कोई भी पदार्थ या प्रकाश बचकर निकल नहीं सकता. हमारे तारामंडल के केंद्र में स्थित वृहद ब्लैक होल ने सूर्य जैसे 45 लाख तारों के द्रव्यमान को संपीडित करके अंतरिक्ष के एक बेहद छोटे से क्षेत्र में तब्दील कर दिया है. जब बोरदोलोई से पूछा गया कि ब्लैकहोल का अगला ग्रास कब उसमें जाएगा, तो उन्होंने पीटीआई से कहा, हाल ही में एक द्वितारा जी2 पृथ्वी के कई गुना द्रव्यमान वाला आकाश गंगा के केंद्र में स्थित वृहद ब्लैक होल में गिरने के बेहद करीब आ गया था. लेकिन किसी तरह ये बच गया और गिरा नहीं.

उन्होंने कहा, तारामंडल के अंदर और बाहर होने वाले गैस प्रवाह का अध्ययन करके हम आकाश गंगा के भविष्य का अध्ययन कर सकते हैं. हम यह पूर्वानुमान लगाना शुरू कर सकते हैं कि यह नए तारों का सृजन करती रहेगी या नहीं? या फिर यह इसमें गैस की आपूर्ति खत्म हो जाएगी और यह एक पुराना एवं मृत तारामंडल बन जाएगा.

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इस समय हर साल आकाशगंगा में किसी भी नए तारे का जन्म न के बराबर है. आगामी चुनौतियों के संबंध में उन्होंने कहा, हमारे सामने एक बड़ी चुनौती असल में ये देखना है कि किन सैद्धांतिक पूर्वानुमानों की मदद से यहां देखे जा रहे पर्यवेक्षणों की व्याख्या की जा सकती है. उन्होंने कहा, हम इस क्षेत्र में नए हब्बल निरीक्षण कर रहे हैं और उम्मीद है कि इनमें कई नए चौंकाने वाले नतीजे निकलकर आएंगे.

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