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मोबाइल नंबर-बैंक खाता आधार से लिंक कराने के लिए कानून में होगा संशोधन, कैबिनेट की मंजूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने टेलीग्राफ अधिनियम और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम में संशोधन के लिए प्रस्तावित विधेयकों के मसौदों को मंजूरी दी गई.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 11:40 PM IST

केंद्र सरकार एक बार फिर से मोबाइल नंबर और बैंक खाते को आधार नंबर से लिंक कराने के लिए दो कानूनों में संशोधन के विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने टेलीग्राफ अधिनियम और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम में संशोधन के लिए प्रस्तावित विधेयकों के मसौदों को मंजूरी दी गई. यह निर्णय निजी कंपनियों को ग्राहकों के सत्यापन के लिए आधार के इस्तेमाल पर सितंबर में उच्चतम न्यायालय की रोक के बाद लिया गया है. न्यायालय ने इस तरह के उपयोग के लिए कानूनी प्रावधान न होने के मद्देनजर यह रोक लगाई थी.

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अब केवाईसी के दस्तावेज के रूप में आधार का इस्तेमाल करने वाली निजी कंपनियों को आधार से संबंधित सूचनाओं की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करनी होगी.

सूत्रों के मुताबिक दोनों अधिनियमों को संशोधित किया जाएगा, ताकि नया मोबाइल नंबर लेने या बैंक खाता खोलने के लिये ग्राहक स्वेच्छा से 12 अंकों वाली आधार संख्या को साझा कर सकें.

उच्चतम न्यायालय ने आधार अधिनियम की धारा 57 को निरस्त कर दिया था. यह धारा सिम तथा बैंक खाता के साथ आधार को जोड़ना अनिवार्य बनाती थी.

इस समस्या से निजात पाने के लिये टेलीग्राफ अधिनियम को संशोधित किया जा रहा है. इससे आधार के जरिये सिमकार्ड जारी करने को वैधानिक समर्थन मिलेगा. इसी तरह मनी लॉड्रिंग रोकथाम अधिनियम में संशोधन से बैंक खातों से आधार को जोड़ने का मार्ग प्रशस्त होगा.

इनके अलावा सरकार ने आधार की सूचनाओं में सेंध लगाने की कोशिश पर 10 साल तक की जेल का प्रस्ताव दिया है. अभी इसके लिये तीन साल की जेल का प्रावधान है. सूत्रों ने कहा कि परिजनों द्वारा आधार पंजीयन कराये गये बच्चों के पास 18 साल के हो जाने के बाद आधार के डेटाबेस से अपनी सूचनाएं हटवाने की सुविधा का भी प्रस्ताव है.

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