Advertisement

EXCLUSIVE: 2 से 5 रुपए में मिल रहीं आधार की डिटेल, एनरोलमेंट एजेंसियों के एजेंट बेच रहे डाटा

इंडिया टुडे की विशेष जांच टीम की तहकीकात में खुलासा हुआ कि आधार डेटा में सेंध लगाने से जुड़ा रैकेट सिर्फ ऑनलाइन तक ही सीमित नहीं है और इसके तार व्यापक पैमाने पर फैले हो सकते हैं. जांच से सामने आया कि कई एनरोलमेंट एजेंसियों के एजेंट आधार आवेदकों से हासिल की जानकारी के रिकॉर्ड महज 2 से 5 रुपए में बेचने को तैयार दिखे.

आधार कार्ड आधार कार्ड
अंकुर कुमार/खुशदीप सहगल/मो. हिज्बुल्लाह
  • नई दिल्ली ,
  • 05 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 10:14 PM IST

आधार डेटा लीक होने संबंधी एक साइबर हमले की रिपोर्टों के बाद नंदन नीलेकणि का विकसित किया बॉयोमीट्रिक आईडी सिस्टम सुर्खियों में है. आधार का मॉडल मोटे तौर पर पहले एफबीआई डायरेक्टर जे एडगर हूवर के बनाए फिंगरप्रिंट्स के विशाल डेटाबेस की तर्ज पर बना है. ‘द ट्रिब्यून’ की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि एक ‘ऑनलाइन एजेंट’ ने उसके रिपोर्टर को महज 500 रुपए के बदले लॉग इन आईडी और पासवर्ड देकर देकर दस लाख नंबरों की प्राइवेट जानकारी देखने की सुविधा दे दी. दावे के मुताबिक इस जानकारी में नाम, पता, पोस्टल कोड, फोटो, फोन नंबर, ई-मेल आदि देखा जा सकता था.  

Advertisement

हालांकि इंडिया टुडे की विशेष जांच टीम की तहकीकात में खुलासा हुआ कि आधार डेटा में सेंध लगाने से जुड़ा रैकेट सिर्फ ऑनलाइन तक ही सीमित नहीं है और इसके तार व्यापक पैमाने पर फैले हो सकते हैं. जांच से सामने आया कि कई एनरोलमेंट एजेंसियों के एजेंट आधार आवेदकों से हासिल की जानकारी के रिकॉर्ड महज 2 से 5 रुपए में बेचने को तैयार दिखे.

Uidai.gov.in  के मुताबिक रजिस्ट्रार्स की ओर से एनरोलमेंट एजेंसियों की सेवाएं भाड़े पर ली गई थीं. इन एजेंसियों की UIDAI  प्रक्रिया के तहत नागरिकों को एनरोल कर उनके डेमोग्राफिक और बॉयोमीट्रिक आंकड़े जुटाए जाने थे.  

ऐसी ही एक एजेंसी ‘अलंकित असाइनमेंट्स’ फरीदाबाद में स्थित है. यहां के ब्रांच प्रमुख इशपाल सिंह से अंडर कवर रिपोर्टर कारोबारी बनकर मिले और अपने संभावित ग्राहक तलाशने के लिए आधार डेटा खरीदने की बात की. इस पर इशपाल ने 250 आधार आवेदकों की फाइल मेज पर रखते हुए कहा कि ये आधार डेटा है और ऐसा ही 15000 डेटा आपको दूंगा. इस काम के लिए इशपाल ने 30,000 रुपए की मांग की. हैरानी की बात है कि इशपाल एक आधार आवेदक के नाम, पते, जन्मदिन, मोबाइल नंबर और ई मेल की जानकारी महज 2 रुपए में देने को तैयार दिखा.

Advertisement

इसके बाद इशपाल ने इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स को अपने डोजियर्स से हर जानकारी कॉपी डाउन करने की सलाह दी. इशपाल ने कहा, ‘मैं आपको 250 फार्म्स का बंडल दूंगा. मेरे पास 50,000 आवेदकों का रिकॉर्ड है. आप सारा डेटा हासिल कर सकते हैं.’

जांच से सामने आया कि किस तरह आधार एक्ट के सेक्शन 28 की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. सेक्शन 28 के मुताबिक आवेदकों की पहचान से जुड़ी जानकारी और उसके प्रमाणन रिकॉर्ड की सुरक्षा और गोपनीयता को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी UIDAI की है. सेक्शन 28 में आगे कहा गया है कि अथॉरिटी जरूरी तकनीकी और सांगठनिक सुरक्षा उपायों को अपनाए और अमल में लाए. साथ ही एजेंटों, सलाहकारों और अन्य व्यक्तियों से समझौते या अनुबंध करते वक्त भी इन सुरक्षा उपायों का पालन सुनिश्चित करे.     

आधार के सूत्रधार नंदन नीलेकणि ने बीते साल अप्रैल में आधार की सुरक्षा पुख्ता होने का दावा किया था. उन्होंने कहा था कि ये बहुत बहुत सुरक्षित सिस्टम है. इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स ने गाजियाबाद के इंदिरापुरम में स्थित एक और एनरोलमेंट सेंटर का रुख किया. ये सेंटर 4-5 लाख आवेदकों का डेटा बेचने को तैयार दिखा. यहां के वरिष्ठ अधिकारी आशीष गुप्ता ने ना सिर्फ इस सेंटर से बल्कि दिल्ली में अपने तहत आने वाले तीन और सेंटरों से भी डेटाबेस उपलब्ध कराने की बात कही.

Advertisement

आशीष गुप्ता से जब पूछा गया कि क्या वो इंदिरापुरम के सभी आवेदकों की जानकारी उपलब्ध करा सकता है तो उसने कहा, ‘मैं एक्सल शीट पर डेटा उपलब्ध करा दूंगा.’ आशीष गुप्ता ने 3-4 रुपए प्रति आवेदक के हिसाब से जानकारी हासिल कराने की पेशकश की.

नोएडा के सेक्टर 10 में स्थित एक एनरोलमेंट सेंटर भी इस मामले में अलग नहीं दिखा. यहां के प्रमुख एजेंट सोनू ने जानकारी देने के लिए प्रति आवेदक 4-5 रुपए के हिसाब से मांग की. सोनू ने दावा किया कि उसने अभी तक 40,000 आधार कार्ड बनाए हैं. सोनू ने आवेदकों की जानकारी की पावती की पीडीएफ कॉपी देने की पेशकश की.

ये एजेंट और अधिकारी आधार एक्ट के प्रावधानों को खुलेआम ठेंगा दिखाते हुए इस गोरखधंधे में लगे हैं. आधार एक्ट का सेक्शन 37 कहता है, “किसी भी व्यक्ति की पहचान से जुड़ी सूचना का प्रसार या इरादतन खुलासा आधार एक्ट के तहत अधिकृत नहीं है. एक्ट के तहत किसी भी समझौते के उल्लंघन पर तीन साल तक कारावास की सजा या दस हजार रुपए तक जुर्माना (व्यक्ति की स्थिति में) हो सकता है. कंपनी की स्थिति में जुर्माना एक लाख रुपए तक हो सकता है.”  

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement