दिल्ली में कड़कड़ाती ठंड, रैन बसेरे में रहने के लिए भी आधार जरूरी!

दिल्ली में पारा हर दिन रिकॉर्ड बना रहा है. जहां कंपकंपाती सर्दी से बचने के लिए लोग रजाइयों में दुबक जाते हैं, वहीं कुछ लोगों के लिए बस स्टैंड ही छत होता है, तो किसी के लिए खुला आसमान. ऐसे में पास में रैन बसेरा बना है, लेकिन वहां जा नही सकते हैं, क्योकि यहां भी 'आधार' नंबर जरूरी है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर

रोहित मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 11 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 7:47 PM IST

अब आपके पास बैंक खाता है तो 'आधार' जरूरी है, मोबाइल फोन के लिए भी आधार नंबर या कार्ड जरूरी है, लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि दिल्ली में बने रैन बसेरों में भी आधार अनिवार्य किया गया है.

दिल्ली में पारा हर दिन रिकॉर्ड बना रहा है. जहां कंपकंपाती सर्दी से बचने के लिए लोग रजाइयों में दुबक जाते हैं, वहीं कुछ लोगों के लिए बस स्टैंड ही छत होता है, तो किसी के लिए खुला आसमान. ऐसे में रैन बसेरा है, लेकिन वहां जा नही सकते हैं, क्योंकि यहां भी 'आधार' नंबर जरूरी है.

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एम्स के पास सैकड़ों की तादात में खुले आसमान के नीचे सोते हुए लोग मिल जाते हैं. जब हमने उनसे बात की तो किसी ने कहा कि रैन बसेरे में जगह नहीं, तो किसी ने कहा कि वहां आधार कार्ड मांगा जाता है. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि अगर कोई व्यक्ति बेघर है या फिर इस कंपकंपाती सर्दी से बचने के लिए सोने के लिए जगह तलाश रहा है, तो फिर उसके लिए आधार, जरूरी क्यों है? ये समझ से परे है.

एम्स के पास ही बने रैन बसरे में काम करने वाली दिल्ली आश्रय बोर्ड की कर्मचारी पूजा बताती हैं कि बोर्ड के नियम के अनुसार ‘आधार' जरूरी है, इसलिए यहां आकर सोने वाले लोगों से आधार कार्ड की फोटोकॉपी मांगी जाती है. लेकिन जब कोई बहुत ज्यादा लाचार है तो फिर आधार नही मांगते.'

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हालांकि, जब रैन बसरे में सोने वालों से हमने पूछा तो कहा कि आधार देने के बाद ही यहां जगह मिलती है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि जिन लोगों के पास आधार नही है, या जो लोग बाहर से आए हैं बिना आधार कार्ड के तो क्या वो इस जबर्दस्त सर्दी में खुले आसमान में सोएंगे.

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