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आधार सीडिंग से लाखों परिवार प्रभावित, मनरेगा जैसी लाभकारी योजनाओं पर असर

सरकारी योजनाओ में फर्जीवाड़े की खबर मिलने के बाद हुई इस कार्रवाई के तहत 11 लाख से अधिक राशनकार्ड रद्द किए गए है. वहीं लगभग तीन लाख पेंशन धारकों के नाम भी हटाए जा चुके हैं.

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो

सरकारी योजनाओं में गलत आधार पर सुविधाएं पाने वालों के खिलाफ चलाए जा रहे आधार सीडिंग का असर लाखों परिवार पर पड़ा है. योजनाओं को लागू करने के लिए चलाए जा रहे इस कार्यक्रम की वजह से झारखंड के करीब 16 लाख परिवारों को मिलने वाली सुविधा अब बंद हो गई है. खासतौर पर इसका असर मनरेगा, छात्रवृति, जन वितरण प्रणाली, आवास निर्माण जैसे विभिन्न लाभकारी योजनाओं पर पड़ा है.

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फर्जीवाड़े की खबर के बाद हुई कार्रवाई

सरकारी योजनाओं में फर्जीवाड़े की खबर मिलने के बाद हुई इस कार्रवाई के तहत 11 लाख से अधिक राशनकार्ड रद्द किए गए हैं. वहीं लगभग तीन लाख पेंशन धारकों के नाम भी हटाए जा चुके हैं. सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं में से एक मनरेगा पर भी इसका असर पड़ा है. इसमें करीब एक लाख से अधिक जॉब कार्ड रद्द कर दिए गए है. ये सब महज एक साल के दौरान किया गया है. लेकिन सीडिंग की मार हजारों जरूरतमंदों पर भी पड़ी है. जो अफसरों द्वारा भौतिक सत्यापन नहीं किए जानें से सरकारी योजनाओं से वंचित हो गए.

दरअसल यह सब कुछ सरकारी योजनाओं में आधार के अनिवार्य किए जाने के कारण हुआ है. हालांकि योजनाओं के डिजिटलाईजेशन की वजह से फर्जीवाड़े की रोकथाम में सहायता भी मिली है. लेकिन कुछ मामलों में सरकार ने वैसे परिवारों को भी फर्जी राशनकार्ड धारियों में इसलिए सूचीबद्ध कर दिया, क्योंकि उनका राशन कार्ड आधार से लिंक नहीं था.

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राशन नहीं मिलने से भी हुई मौतें

जरुरतमंदों के राशन कार्ड रद्द किए जाने से राज्य में भूख से मौतें भी हुई. इनमें सिमडेगा की 11 वर्षीय संतोषी की मौत भूखे रहने की वजह से हुई. बीपीएल श्रेणी में सूचीबद्ध संतोषी के परिवार को लगभग चार महीने से राशन नहीं मिल पाया था. इसे खाद्य, सार्वजनिक वितरण और उपभोक्ता मामले विभाग के मंत्री सरयू राय ने खुद स्वीकारा था.

इसी तरह देवघर के रूपलाल मांझी के परिवार को दो महीने से राशन इसलिए नहीं मिला था क्योंकि ई-पीओएस मशीन ने उनके अंगूठे के निशान को नहीं स्वीकारा था. गढ़वा की इतवारिया देवी को जहां तीन महीने से राशन नहीं मिला था. साथ ही दो महीने से पेंशन बंद थी.

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