
दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया. 2 जजों की पीठ के फैसले के बाद भी मामला अभी पूरी तरह से सुलझ नहीं पाया है, हालांकि कुछ मुद्दों पर जजों ने अपना फैसला साफ किया है. केंद्रीय कैडर के अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के मुद्दे पर दोनों जजों में मतभेद ही रहा, इसलिए इस मुद्दे को बड़ी बेंच के पास भेज दिया गया. इस पर आम आदमी पार्टी के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से सनी देओल की फिल्म दामिनी का एक दिलचस्प डायलॉग ट्वीट किया है.
आज के फैसले के बाद आम आदमी पार्टी के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर सनी देओल का फेमस डायलॉग ट्वीट किया गया है...तारीख पर तारीख... जी हां, ये दामिनी फिल्म का सीन है जिसमें सनी देओल ने एक वकील का रोल निभाया था. एक रेप केस लड़ते हुए जब उसे तारीख पर तारीख मिलती है तो ये सीन क्रिएट होता है. 26 साल पहले आई इस फिल्म के डायलॉग पर लोग प्रतिक्रिया भी देने लगे हैं.
बता दें कि आज इस मसले पर जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने सुनवाई की है. सबसे पहले जस्टिस एके सीकरी ने अपना फैसला पढ़ा. मामले में फैसला पढ़ते हुए जस्टिस सीकरी ने कहा कि राजधानी में सभी एक्जीक्यूटिव अधिकार दिल्ली सरकार के पास ही रहेंगे. जस्टिस अशोक भूषण ने भी कुछ मुद्दों पर जस्टिस सीकरी के साथ सहमति जताई, लेकिन ट्रांसफर-पोस्टिंग के मुद्दे पर दोनों जजों में मतभेद ही रहा, इसलिए इस मुद्दे को बड़ी बेंच के पास भेज दिया गया है.
हालांकि, दिल्ली में जमीन, पुलिस और कानून व्यवस्था से जुड़े सभी अधिकार केंद्र सरकार यानी उपराज्यपाल के पास ही रहेंगे. हालांकि, ये अभी अंतिम फैसला नहीं है क्योंकि दो जजों की बेंच में मतभेद होता दिख रहा है.
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल का मामला दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने उठाया तो मामला हाई कोर्ट में गया. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में उपराज्यपाल को ही दिल्ली का बॉस बताया था. दिल्ली हाई कोर्ट ने 4 अगस्त 2016 को इस मसले पर सुनवाई करते हुए कहा था कि उपराज्यपाल ही दिल्ली के प्रशासनिक प्रमुख हैं और दिल्ली सरकार उपराज्यपाल की मर्जी के बिना कानून नहीं बना सकती.
हाई कोर्ट के फैसले के अनुसार, उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के फैसले को मानने के लिए बाध्य नहीं हैं और वह अपने विवेक के आधार पर फैसला ले सकते हैं, साथ ही दिल्ली सरकार को किसी भी तरह का नोटिफिकेशन जारी करने से पहले एलजी की अनुमति लेनी ही होगी.
दिल्ली हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ ही राज्य की आम आदमी पार्टी की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. 5 जजों की संविधान पीठ ने 6 दिसंबर, 2017 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.