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क्या होता है IED ब्लास्ट, क्यों आतंकियों के लिए फेवरेट है ये डिवाइस

पुलवामा में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने (Improvised Explosive Device) यानी IED ब्लास्ट के जरिये हमले को अंजाम दिया. देश में यह पहला IED हमला नहीं है. आतंकियों ने इससे पहले भी कई IED के जरिये हमले को अंजाम दिया है.

पुलवामा हमले के बाद की तस्वीर पुलवामा हमले के बाद की तस्वीर
अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 15 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 12:49 PM IST

ऑपरेशन ऑल आउट के तहत जम्मू-कश्मीर में लगातार आतंकियों को ढेर किया जा रहा है. जिससे सीमा पार बैठे आतंकियों के आका बौखला गए हैं. सेना के जवानों ने एक तरह से जम्मू-कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद की कमर तोड़ दी है. एक-एक कर जैश के आतंकियों को मार गिराया गया है. जानकारों की मानें तो पुलवामा में हुए आतंकी हमले जैश-ए-मोहम्मद की बौखलाहट को दर्शाता है.

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दरअसल, पुलवामा में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने (Improvised Explosive Device) यानी IED ब्लास्ट के जरिये हमले को अंजाम दिया. देश में यह पहला IED हमला नहीं है. आतंकियों ने इससे पहले भी कई IED के जरिये हमले को अंजाम दिया है. दरअसल, आतंकी बड़े पैमाने पर नुकसान के लिए IED ब्लास्ट को अंजाम देता है. 2016 में पठानकोट एयरबेस में आतंकियों ने IED ब्लास्ट के जरिये ही वारदात को अंजाम दिया था, जिसमें बड़े पैमाने पर लोग घायल हुए थे.

कितना खतरनाक होता है IED ब्लास्ट?

IED भी एक तरह का बम ही होता है, लेकिन यह मिलिट्री के बमों से कुछ अलग होता है. आतंकी IED का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर नुकसान के लिए करता है. IED ब्लास्ट होते ही मौके पर अक्सर आग लग जाती है, क्योंकि इसमें घातक और आग लगाने वाले केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. खासकर आतंकी सड़क के किनारे IED को लगाते हैं, ताकि इसके पांव पड़ते या गाड़ी का पहिया चढ़ते ब्लास्ट हो जाता है. IED ब्लास्ट में घुआं भी बड़ी तेजी से निकलता है.

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IED को ट्रिगर करने के लिए आतंकी रिमोट कंट्रोल, इंफ्रारेड या मैग्नेटिक ट्रिगर्स, प्रेशर-सेंसिटिव बार्स या ट्रिप वायर जैसे तरीकों का इस्तेमाल करता है. कई बार इन्हें सड़क के किनारे तार की मदद से बिछाया जाता है. भारत में नक्सलियों द्वारा भी कई वारदातों को IED ब्लास्ट के द्वारा अंजाम दिया गया है.

IED ब्लास्ट में जैश-ए-मोहम्मद में आगे

पुलवामा हमले के बाद कहा जा रहा है कि दिसंबर, 2018 में ही जैश-ए-मोहम्मद का टॉप ट्रेनर अब्दुल रशीद गाजी जम्मू-कश्मीर में घुसने में कामयाब हो चुका है. जैश कमांडर गाजी अफगानिस्तान में तालिबानियों के दस्ते में शामिल था. इसके साथ ही पीओके में जैश के ट्रेनिंग कैंप का चीफ इंस्ट्रक्टर भी रह चुका है, जैश का कमांडर राशिद गाज़ी अफगानिस्तान में ट्रेड IED एक्सपर्ट है. जानकारी मिल रही है कि आत्मघाती हमला करने वाले आतंकी आदिल डार को गाज़ी ने ही तैयार किया था. ग़ाज़ी जैश के आतंकियों हथियारों और विस्फोटकों की ट्रेनिंग को देता है.

कब-कब हुआ IED ब्लास्ट  

जम्मू-कश्मीर में 13 जुलाई, 2011 को 3 IED का प्रयोग किया गया था, यह हमले मुंबई में हुए हमलों के साथ ही हुए थे जिसमें 19 लोगों की जान गई थी और 130 लोग घायल हुए थे. 21 फरवरी 2013 को हैदराबाद में हुए हमले में IED के जरिये विस्फोट किया गया था. 2016 में पठानकोट हमले के दौरान भी बहुत से लोग IED से घायल हुए थे.

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