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ट्रैक पर मरम्मत और ड्राइवर अनजान, क्या ऐसे ही दौड़ेगी बुलेट ट्रेन?

ये उस देश की हकीकत है जहां सपना तो बुलेट ट्रेन का दिखाया जाता है लेकिन जहां सफर अभी भी भगवान भरोसे ही पूरे होते हैं. पुरी से हरिद्वार जा रही उत्कल एक्सप्रेस शनिवार की शाम करीब पौने छह बजे मुजफ्फरनगर से खतौली के पास हादसे का शिकार हो गई, और एक बार फिर ये साबित हो गया कि भारतीय रेलवे में सफर का मतलब है जोखिम की पूरी गारंटी.

खतौली में हुआ हादसा खतौली में हुआ हादसा
सुरभि गुप्ता/अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 19 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 11:21 PM IST

शनिवार देर शाम यूपी में मुजफ्फरनगर के करीब खतौली में कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस ट्रेन पटरी से पलट गई. इस हादसे में अब तक 23 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. ये आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है. इस हादसे से ये साफ हो गया है कि ट्रेन से अगर आप सुरक्षित घर पहुंच जाएं तो ये यकीन कर लीजिए कि ये ऊपर वाले प्रभु की मेहरबानी थी, क्योंकि रेलवे के प्रभु तो हादसा रोकने में लगातार नाकाम ही हो रहे हैं.

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मुजफ्फरनगर के पास हुआ हादसा

ये उस देश की हकीकत है जहां सपना तो बुलेट ट्रेन का दिखाया जाता है लेकिन जहां सफर अभी भी भगवान भरोसे ही पूरे होते हैं. पुरी से हरिद्वार जा रही उत्कल एक्सप्रेस शनिवार की शाम करीब पौने छह बजे मुजफ्फरनगर से खतौली के पास हादसे का शिकार हो गई, और एक बार फिर ये साबित हो गया कि भारतीय रेलवे में सफर का मतलब है जोखिम की पूरी गारंटी.

कब सुरक्षित होगी रेल यात्रा?

ये मोदी मंत्रिमंडल के प्रभु यानी सुरेश प्रभु की रेलवे का हाल है. जहां मुसाफिरों की सुरक्षा अगली शताब्दी का सवाल जैसा लग रहा है. सुरेश प्रभु तमाम तरह की योजनाएं रेलवे में लागू कर रहे हैं. रेलवे को आधुनिक बनाने का अभियान चला रहे हैं लेकिन मुसाफिरों को सुरक्षित मंजिल तक पहुंचाने की प्राथमिकता लगता है उनके लिए ज्यादा मायने नहीं रखती. इस हादसे की तस्वीरें सबूत हैं कि रेलवे को लेकर सुरेश प्रभु का विजन किस हद तक पटरी से उतर चुका है.

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सियासी मातम का सिलसिला शुरू

खतौली से अभी कई दिल दहला देने वाली तस्वीरें आएंगी. क्योंकि चंद मिनट के भीतर मुसाफिरों से भरी ये ट्रेन मलबे में तब्दील हो गई. डिब्बे एक-दूसरे पर चढ़ने-उतरने लगे, जैसे ये इस्पात से नहीं तीलियों से बने हों. हादसे पर सियासी मातम का सिलसिला शुरू हो चुका है.

हादसे की वजह की तलाश

अब आगे बड़ी चुनौतियां हैं. रात का अंधेरा घना हो चुका है. इसी अंधेरे में यात्रियों की जिंदगी बचानी होगी. दिल्ली से एनडीआरएफ की टीम रवाना हो गई है. राज्य सरकार ने भी मोर्चा संभाला है. डॉक्टरों की टीम मौके पर है. फिलहाल हादसे की वजह की भी तलाश हो रही है.

जान हथेली पर लेकर करें रेल यात्रा

ये ढर्रे वाली बात है. एक हादसा हुआ है. अब इस हादसे की जांच होगी. कमेटी बनेगी. रिपोर्ट आएगी. लेकिन फिर क्या होगा, वही जो आज खतौली में हुआ है. खतौली ना सही कोई और जगह सही. लेकिन फिर हादसे होंगे, फिर जानें जाएंगी. आपको ट्रेन से सफर करना है तो जान हथेली पर लेकर करिए. ये आपकी बला है. सिस्टम और सरकार को इससे क्या लेना-देना.

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