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दुनियाभर में योग के कारण जिंदगियां बदली और उम्मीदें जगी: PM मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि जिस तरह विश्व में लोगों ने योग को स्वीकार किया है, वह इसकी बढ़ती लोकप्रियता का प्रतीक है.

योग सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी योग सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
स्‍वपनल सोनल
  • नई दिल्ली,
  • 03 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 12:02 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कर्नाटक दौरे के दूसरे दिन रविवार को योग सम्मेलन को संबोधित किया. इस दौरान योग को मिली वैश्विक स्वीकृति की चर्चा करते हुए पीएम ने कहा कि योग के कारण दुनियाभर में कई लोगों की जिंदगी बदली और कइयों के जीवन में नए उत्साह का संचार हुआ.

पीएम मोदी ने इस दौरान कहा कि जिस तरह विश्व में लोगों ने योग को स्वीकार किया है, वह इसकी बढ़ती लोकप्रियता का प्रतीक है. प्रधानमंत्री ने कहा, 'लोग संस्कृति और भौगालिक अंतर से ऊपर उठकर योग को अपनी जिंदगी में शामिल कर रहे हैं. यह लोगों को उनकी जिंदगी को नए सिरे से परिभाषि‍त करने में मदद करता है. दुनियाभर में कई सारी कहानियां चल रही हैं कि किस तरह योग ने उनकी जिंदगी बदली और जीवन में नए उत्साह का संचार किया.'

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योग शिक्षकों की जरूरत पर बल देते हुए पीएम ने कहा कि हमें अधि‍क से अधि‍क और योग्य योग प्रशि‍क्षकों को तैयार करना होगा. पीएम ने कहा, 'योग अब एक वैश्वि‍क विरासत हैं और मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि दुनियाभर में लोग बड़े उत्साह से भारत की पारंपरिक चिकित्सा को स्वीकार कर रहे हैं.'

केंद्र सरकार की ओर से कम कीमत पर दवा उपलब्ध करवाने की योजना 'आयुष' की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार इस ओर गंभीरता से ध्यान दे रही है. लोगों को इस योजना के बारे में जागरूक किया जा रहा है. पीएम मोदी ने चिकित्सा के क्षेत्र में अपने विजन की चर्चा की और कहा, 'स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में मैं एक ऐसी एकीकृति प्रणाली का निर्माण करना चाहता हूं जिसका आधार अलग-अलग परंपराओं को समझते हुए बना हो और सबसे प्रभावी हो.'

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पीएम ने कहा कि उनकी सरकार पर्यावरण के अनुकूल स्वास्थ्य प्रणाली के साथ ही इस ओर सामाजिक और आर्थिक लागत कम करने को लेकर प्रतिबद्ध है.

अपने संबोधन में स्वामी विवेकानंद का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वामी जी ने दुनिया के सामने हिंदुस्तान के कालातीत ज्ञान को रखा. उन्होंने कहा, 'स्वामी विवेकानंद का दृष्टि‍कोण भारतीय और पश्चि‍मी सोच के गहरे अध्ययन और हमारे प्राचीन दर्शन के साथ ज्ञान का समावेश है.'

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