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यूपी के बाद बीजेपी शासित दूसरे राज्यों में भी 'मीटबंदी'!

पहले उत्तर प्रदेश और फिर झारखंड के तर्ज पर अब बिहार और राजस्थान में भी अवैध बूचड़खानों को बंद करने की मांग उठने लगी है. गुरुवार को बीजेपी ने बिहार विधानसभा में सभी अवैध बूचड़खानों को बंद करने की मांग उठाई.

बिहार में बीजेपी ने अवैध बूचड़खानों को बंद करने की उठाई मांग बिहार में बीजेपी ने अवैध बूचड़खानों को बंद करने की उठाई मांग
रोहित कुमार सिंह/शरत कुमार
  • पटना/जयपुर,
  • 29 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 4:25 PM IST

उत्तर प्रदेश के बाद अब बीजेपी शासित दूसरे राज्यों में भी मीटबंदी के लिए एक्शन शुरू हो गया है. जयपुर नगर निगम ने दुकानदारों को नोटिस दिया है कि 31 मार्च तक अपने दस्तावेज़ कानूनी तौर पर दुरुस्त कर लें वरना एक अप्रैल से तालाबंदी की कार्रवाई शुरू हो जाएगी, वहीं झारखंड में भी अवैध बूचड़खानों को 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया गया है. हरियाणा के गुड़गांव में शिवसेना ने मीट और चिकन की 500 दुकानों को बंद करा दिया है. इनमें मल्टीनेशनल फूड चेन KFC भी शामिल है. शिवसेना ने नवरात्र में मीट न बिकने देने की बात कही है. उधर बिहार में भी बीजेपी ने विधानसभा में सभी अवैध बूचड़खानों को बंद करने की मांग उठाई. बिहार भाजपा के नेताओं ने इस मुद्दे को लेकर विधानसभा में जमकर नारेबाजी की.

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जयपुर में नहीं दिया जा रहा लाइसेंस
वहीं जयपुर में हजारों मीट के दुकानदारों पर बंदी का संकट मंडराने लगा है. जयपुर नगर निगम ने सभी को आदेश दिया है कि एक अप्रैल से उन सभी स्लॉटर हाउस और मीट की दुकानों को बंद किया जाएगा, जिनके पास लाइसेंस नहीं है. लेकिन दुकानदारों का कहना है कि उनको ना तो लाइसेंस दिया जा रहा है और ना ही लाइसेंस को रिन्यू किया जा रहा है.

बिहार में ये है बीजेपी की मांग
दरअसल योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश की नई सरकार ने जिस तरीके से पूरे राज्य में अवैध बूचड़खानों को बंद करने को लेकर एक मुहिम चलाई है उसके बाद झारखंड में भी मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य में सभी बूचड़खानों को बंद करने की मुहिम चलाई है. इससे उत्साहित होकर अब बिहार में भी बीजेपी नेताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ऊपर दबाव बनाते हुए ना केवल अवैध बूचड़खानों को बंद करने की मांग उठाई है बल्कि उन बूचड़खानों को जिनको लाइसेंस जारी किया है, उनके लाइसेंस को भी रद्द करने की बात कही है.

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सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन
इस मुद्दे को बिहार विधानसभा में उठाते हुए प्रतिपक्ष के नेता प्रेम कुमार ने कहा कि अगर नीतीश कुमार सरकार ने जल्द से जल्द अवैध बूचड़खानों के खिलाफ कार्रवाई शुरू नहीं की और उन्हें बंद नहीं किया तो इसको लेकर बीजेपी सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन करेगी. हालांकि, बिहार सरकार में पशुपालन मंत्री अवधेश कुमार सिंह ने 2 दिन पहले ही राज्य के तमाम अवैध बूचड़खानों को बंद करने के लिए सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखा है. बिहार में इस वक्त तकरीबन 150 अवैध बूचड़खाने चल रहे हैं.

सरकारी स्लॉटर हाउस में मीट कटवाएं दुकानदार
जयपुर में दुकानदारों को ये आदेश दिए गए हैं कि कोई मीट, मुर्गा और मछली को दुकान में नहीं काट सकता है. इन लोगों को केवल बेचने का लाइसेंस दिया है, जिन्हें कुछ भी कटवाना है वो सरकार के एक मात्र स्लॉटर हाउस से फीस चुकाकर कटवाएं. जयपुर नगर निगम ने दुकानों के लाइसेंस की फीस 10 रुपये से बढ़ाकर एक हजार कर दिया है.

एक हजार की गई लाइसेंस की फीस
जयपुर के महापौर का कहना है कि अब ये नहीं चलेगा कि जहां मन वहां मीट की दुकान खोल लिए. अब केवल मीट बेचने का लाइसेंस मिलेगा. जो कोई मीट काटता हुआ मिलेगा उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा. मीट की दुकान को लाइसेंस नहीं देने के आरोप पर कहा है कि उनके तीन महीने के कार्यकाल में एक भी व्यक्ति उनके पास लाइसेंस नहीं मिलने की शिकायत लेकर नहीं आया. मीट की दुकानों के फीस बढ़ाने पर अशोक लाहोटी का कहना है कि 1977 में 10 रुपए में लाइसेंस देने का नियम बनाया गया था और तब से यही फीस थी. अधिकारियों ने मात्र एक हजार रुपये फीस रखा है.

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निजी स्लॉटर हाउस खोलने की इजाजत नहीं
राजस्थान सरकार ने ये भी साफ कर दिया है कि सरकार कोई भी निजी स्लॉटर हाउस खोलने की इजाजत नहीं देगी और जो स्लॉटर हाउस बिना लाइसेंस के चल रहे हैं, उन्हें बंद किया जाएगा. सभी मीट दुकानदारों को सरकारी स्लॉटर हाउस में ही मीट कटवाने पड़ेंगे. जयपुर की सबसे पुरानी मीट मंडी घाटगेट में सैकड़ों दुकानों में से किसी के पास लाइसेंस नहीं है. सबके पास 2010 और 2011 के लाइसेंस हैं, जो काफी पहले खत्म हो गए हैं. दुकानदारों का कहना है कि जबसे यूपी में लाइसेंस के बिना स्लॉटर हाउस और मीट की दुकानें बंद हुई हैं, तब से वो लगातार नगर निगम का चक्कर लगा रहे हैं, मगर लाइसेंस नहीं मिल रहा.

इसकी पड़ताल की गई तो पता चला कि मीट की दुकानों को लेकर जो लाइसेंस बने हैं उनमें मीट दुकानों की साफ-सफाई, कचरा निस्तारण और डीप फ्रिज जैसी शर्तें बनी हुई हैं, जिसका पालन 90 फीसदी दुकानें नहीं कर सकती हैं. उधर नगर निगम ने भी सरकार के पास दुकानों की लाइसेंस की फीस बढ़ाने के लिए प्रस्ताव भेजा है, जिस पर अभी फैसला नहीं हुआ है. इसी वजह से नगर निगम लाइसेंस नहीं दे रहा है.

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