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'गुस्से वाले हनुमान' के बाद अब 'दाढ़ी वाले राम'

आचार्य के मुताबिक इस बार उन्होंने हनुमान के पोट्रेट जैसे गुस्से के भाव भगवान राम के चेहरे पर नहीं दिखाए. आचार्य ने कहा, ‘भगवान राम का चेहरा जब भी कोई देखता है उसके मन में शांति का भाव आता है.’

करऩ आचार्य करऩ आचार्य
वरुण शैलेश/चयन कुंडू/खुशदीप सहगल
  • नई दिल्ली,
  • 21 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 6:20 AM IST

‘गुस्से वाले हनुमान’को देशभर में जगह-जगह वाहनों के बम्पर और विंड शील्ड पर देखा जा सकता है. इसके रचनाकार डिजिटल आर्टिस्ट करन आचार्य को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलौर में एक रैली में देश का गौरव बता चुके हैं. केरल के छोटे से कस्बे कासरगोड के रहने वाले आचार्य को अब तक कम लोग ही जानते थे. आचार्य ने अब ‘भगवान राम’की एक तस्वीर बनाई है. इस तस्वीर में भगवान राम के चेहरे पर गुस्से के भाव नहीं बल्कि दाढ़ी है. सोशल मीडिया पर यह तस्वीर फैलने के साथ ही इस पर चर्चा शुरू हो गई है.

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आचार्य ने भगवान राम का ये पोट्रेट बीते महीने बनाया. आचार्य ‘वेक्टर पेंटिंग’ या ‘डिजिटल पेंटिंग’ की विधा से पोट्रेट बनाते हैं. आचार्य के मुताबिक वो पोट्रेट में भगवान राम के चेहरे पर दिखाए जाने वाले भाव को लेकर दो राय में थे. पहले आचार्य ने भगवान राम के चेहरे पर दाढ़ी दिखाई, क्योंकि ये उनके मुताबिक स्वाभाविक था क्योंकि निर्वासन के बाद भगवान राम कई साल तक जंगल में रहे. फिर आचार्य को लगा कि अब तक तस्वीरों में भगवान राम को लोग बिना दाढ़ी के देखते रहे हैं और वही रूप उनके जेहन में रचा बसा है. ये सोचकर आचार्य ने पोट्रेट का एक और सेट बनाया.

आचार्य के मुताबिक इस बार उन्होंने हनुमान के पोट्रेट जैसे गुस्से के भाव भगवान राम के चेहरे पर नहीं दिखाए. आचार्य ने कहा, ‘भगवान राम का चेहरा जब भी कोई देखता है, उसके मन में शांति का भाव आता है.’ आचार्य के मुताबिक इस बार उन्होंने भगवान राम के पोट्रेट में चेहरे पर जो भाव रखे, उसमें ना गुस्सा है और ना ही शांति. ये भाव इन दोनों के बीच के माने जा सकते हैं.       

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आचार्य का हनुमान पर बनाया पोट्रेट ‘रुद्र हनुमान’ भारत ही नहीं विदेश में भी वाहनों पर देखा जा सकता है. आचार्य के मुताबिक जर्मनी से उनके एक परिचित ने वाहन पर पोट्रेट को देखने के बाद उसकी फोटो लेकर उन्हें ट्वीट किया.  

आचार्य का हनुमान पर बनाया पोट्रेट पोस्टर, स्टीकर और तरह-तरह की मर्चेन्डाइज वस्तुओं पर छाया हुआ है. आचार्य कहते हैं कि उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनके बनाए पोट्रेट को हर जगह ऐसे हाथों हाथ लिया जाएगा. साथ ही आचार्य कहते हैं कि उन्हें अपनी इस रचना से कोई खास आर्थिक लाभ नहीं हुआ.

आचार्य के मुताबिक पहले वो कॉपीराइट जैसे दावों से अनजान थे, इसलिए ऐसा कोई आवेदन भी नहीं किया था. यही वजह है कि उस पोट्रेट को हर जगह बेरोकटोक इस्तेमाल किया गया. आचार्य के अनुसार उन्हें प्रसिद्धि तो मिली लेकिन पैसा नहीं. आचार्य का कहना है कि उन्होंने हनुमान के पोट्रेट के लिए अब कॉपीराइट का आवेदन किया है और उम्मीद है कि वो जल्दी मिल जाएगा.

आचार्य ने अपने परिजनों के साथ मिलकर ‘परिधि मीडिया वर्क्स’ नाम से कंपनी बनाई है. आचार्य की योजना अब अपने आर्ट वर्क्स को टी शर्ट, पोस्टर्स जैसे विभिन्न मर्चेन्डाइजड में इस्तेमाल करने की है.

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