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एलईडी बल्ब के बाद अब लोगों को सस्ते पंखे बांटेगी सरकार

एलईडी बल्ब स्कीम की सफलता के बाद सरकार ने उपभोक्ताओं को सस्ती दर पर अधिक क्षमता वाले पंखें बांटने की योजना बनाई है. ये पंखे न सिर्फ सस्ते होंगे बल्कि बिजली की खपत भी कम करेंगे, जिससे उपभोक्ताओं को बिलों में राहत मिलेगी.

उपभोक्ताओं को पंखे बांटेगी सरकार उपभोक्ताओं को पंखे बांटेगी सरकार
मोनिका शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 03 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 8:26 AM IST

सरकार ने इस बार गर्मियों में बिजली उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत देने का प्लान बनाया है. एलईडी बल्ब स्कीम ला चुके विद्युत मंत्रालय ने अब लोगों को अपने पुराने और बेकार पंखों को हटाकर आधी कीमत पर ज्यादा क्षमता वाले पंखे दिलाने में मदद करने का प्लान बनाया है.

इस स्कीम से उपभोक्ताओं और सरकार, दोनों को फायदा होगा क्योंकि जो पंखे सरकार बांटने की योजना बना रही है, वो न सिर्फ सस्ते होंगे बल्कि बिजली की खपत भी कम करेंगे. जिससे सीधे तौर पर न सिर्फ उपभोक्ताओं के बिजली के बिल कम आएंगे बल्कि सरकार को भी फायदा होगा.

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योजना की सफलता की उम्मीद
एलईडी बल्ब बांटने की योजना को सफल बना चुके विद्युत मंत्रालय को उम्मीद है कि पंखों वाली योजना भी रंग लाएगी. विद्युत मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को कहा, 'हम पंखों को एफीशियंसी प्लान के तौर पर देख रहे हैं..ताकि उपभोक्ता और देश, दोनों का फायदा हो. ये योजना सफल होगी.'

आधी कीमत पर बांटी एलईडी
डोमेस्टिक एफीशियंट लाइटिंग प्रोग्राम के तहत करीब 7 करोड़ बल्ब बांटे जा चुके हैं, जिससे प्रतिदिन करीब 2,085 मेगावॉट बिजली की खपत बचती है और सरकार को प्रतिदिन करीब 2.4 करोड़ रुपये का फायदा हो रहा है. इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही मंत्रालय की एजेंसी EESL इन एलईडी बल्बों को 73 रुपये पर बेच रही है, जबकि इसकी बाजार कीमत 310 रुपये है.

950 रुपये में फाइव-स्टार रेटिंग वाले पंखे
मंत्रालय अब पंखों को बांटने की भी योजना बना रही है. पायलट स्कीम के तौर पर EESL ने आंध्र प्रदेश में दो प्रतिष्ठित कंपनियों को एक लाख पंखे बनाने का टेंडर सौंपा है. उपभोक्ताओं को 950 रुपये में फाइव-स्टार पंखे बांटे जाएंगे, जो 50 वॉट की खपत वाले होंगे. बाजार में इन पंखों की कीमत 1700-1800 रुपये है, जबकि बिना स्टार रेटिंग वाले 80 वॉट के पंखे 800-900 रुपये कीमत पर मिल रहे हैं.

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हर साल बचेंगे 750 रुपये
इन पंखों से उपभोक्ताओं को कम से कम 150 यूनिट की बचत होगी. अगर 5 रुपये प्रति यूनिट की दर से हिसाब लगाया जाए, तो हर साल उपभोक्ता को कम से कम 750 रुपये का फायदा होगा.

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