
लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश को संबोधन ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले हैं. मोदी ने 70वें स्वतंत्रता दिवस पर पूरे 95 मिनट तक राष्ट्र को संबोधित कर अपने ही 86 मिनट का पिछला रिकॉर्ड तोड़ दिया.
ये अलग बात है कि 95 मिनट में से लगभग 80 मिनट तक पीएम अपनी सरकार का पिछले दो सालों की उपलब्धियों का लेखा-जोखा देते रहे. आखिर के 15 मिनट में आतंकवाद को फटकारा और पकिस्तान को ललकारा. प्रधानमंत्री की ललकार का असर ये हुआ कि घबराए पाकिस्तान ने बलूचिस्तान के नेताओं और भारत सरकार को बातचीत का न्योता दे डाला. खैर... हम लालकिले की प्राचीर पर थे.
लालकिले की प्राचीर पर पहला भाषण ही अपने आप में रिकॉर्ड था. 15 अगस्त 1947 की सुबह पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने देश से 72 मिनट तक बातचीत की, तब तो बहुत सारी बातें भी थीं करने को. देश के भविष्य का पूरा खाका खींचना और योजनाएं बताना भी था.
एक भावुक पल..सख्त फैसलों की घड़ी.. ढाढस बंधाने का समय... पर इसके बाद बरसों तक लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री का संबोधन 20 से 50 मिनट में सिमटता रहा. कई बार तो ये रस्मअदायगी जैसा ही लगा. पीएम देश की जनता से बात करने की बजाय अपना लिखित भाषण पढ़ते रहे. कभी कभार रोचक लेकिन अकसर उबाऊ, एकरस और बोरिंग आंकड़ों वाले.
इतिहास के पन्ने पलटें तो लालकिले की प्राचीर से जोशीला भाषण करने वाली पीएम इंदिरा गांधी के भाषण 45 से 55 मिनट के होते थे. इसके अलावा प्रखर वक्ता और वाकपटु पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने लालकिले की प्राचीर से संभवत: सबसे संक्षिप्त भाषण 1999 में सिर्फ 20 मिनट का था. 2001 में भी वो आधा घंटा ही बोले.
युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी 25 से 40 मिनट तक ही बोलते रहे. गांधी नेहरू परिवार के अलावा कांग्रेसी सरकार के पहले पीएम पीवी नरसिंह राव तो 37 से 45 मिनट के बीच ही अपना संबोधन करते रहे. मनमोहन सिंह भी इसी परंपरा में रहे 31 से 40 मिनट तक. ये दोनों वैसे भी मितभाषी माने जाते थे यानी मौनी बाबा.
इस बीच इंद्र कुमार गुजराल लंबा बोले 1997 में 72 मिनट. वीपी सिंह 1990 में 71 मिनट. यानी लगभग सवा घंटे से थोड़े ही कम. दशकों बाद लालकिले की प्राचीर से बुलेटप्रूफ का कवर हटा साथ ही संक्षिप्त भाषण का स्वरूप भी. मोदी ने लालकिले के परकोटे पर 2014 के स्वाधीनता दिवस समारोह में पहली बार तिरंगा फहराने के बाद अपने पहले संबोधन में 65 मिनट तक बात की. अगले साल 86 और तीसरे साल 2016 में ये अवधि 95 मिनट हो गई.
बड़ा सवाल... क्या होगा अगले साल...?? फिर 95 पर आउट या फिर शतक बनेगा...???