
भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयरचीफ मार्शल बीएस धनोआ ने अपने सभी 12,000 अधिकारियों को पत्र लिखकर उनसे बेहद शॉर्ट नोटिस पर किसी भी अभियान के लिए तैयार रहने को कहा है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, वायुसेना प्रमुख ने इस पत्र में वायु सेना के पास संसाधनों की कमी की तरफ भी इशारा किया है.
अखबार के मुताबिक, धनोआ ने वायुसेना प्रमुख का पद संभालने के महज तीन महीने बाद 30 मार्च को लिखा गया यह पत्र सभी अधिकारियों को भेजा गया है. अपनी तरह की इस अभूतपूर्व चिट्ठी में धनोआ ने वायुसेना के भीतर 'पक्षपात' और 'यौन शोषण' के बढ़ते मामलों का भी ज़िक्र किया है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि इससे पहले 1 मई, 1950 को तत्कालीन थलसेना प्रमुख केएम करिअप्पा और 1 फरवरी, 1986 को सेना प्रमुख जलसेना के. सुंदरजी ने ऐसी चिट्ठी लिखी थी. मगर वायुसेना प्रमुख द्वारा अधिकारियों को इस तरह पत्र लिखने का यह पहला मौका है.
वायुसेना प्रमुख धनोआ ने अपने पत्र में अफसरों से कहा, 'मौजूदा हालात में, हमेशा से जारी खतरे की आशंका बढ़ गई है. इसलिए हमें मौजूदा संसाधनों के साथ ही बेहद शॉर्ट नोटिस पर बड़े अभियान के लिए तैयार रहने की ज़रूरत है.' इसके साथ ही इसमें उन्होंने लिखा है, 'हमारा ट्रेनिंग प्रोग्राम इसे ही ध्यान में रखकर चलाया जाना चाहिए.'
ऐसा समझा जा रहा है कि धनुआ ने संभवत: पाकिस्तान की तरफ से जारी छद्म युद्ध की ओर इशारा किया है, जो कि जम्मू कश्मीर में जारी विरोध प्रदर्शनों और सैन्य कैंपों पर हमले की बढ़ी वारदातों में देखा जा सकता है. इसके अलावा यह भी माना रहा है कि धनोआ ने 'मौजूदा संसाधनों' का जिक्र वायुसेना में 'लड़ाकू बेड़े' की कमी की तरफ ध्यान दिलाने के लिए किया है. प्राप्त जानकारी के मताबिक, वायुसेना अपने पास लड़ाकू विमानों की 42 स्क्वाड्रन रखने के लिए अधिकृत है, जबकि उसके पास अभी बस 33 स्क्वाड्रन ही हैं.
वायुसेना प्रमुख धनोआ ने इसके साथ ही 'पिछले कुछ मौकों पर वायुसेना द्वारा प्रदर्शित ग़ैर-पेशेवर रुख़' की तरफ भी ध्याना दिलाया है और कहा कि ऐसे चीज़ों ने वायुसेना की छवि पर दाग लगाया है. धनोआ ने कहा, 'कुछ बड़ी जिम्मेदारियों और पद्दोन्नती के लिए अधिकारियों के चयन में हमें 'पक्षपात' की कुछ शिकायतें देखने को मिली हैं. यह कुछ ऐसी चीज़ें हैं, जिसे हम सहन नहीं कर सकते.' उन्होंने आगे लिखा, 'वरिष्ठ अधिकारियों के निंदनीय व्यवहार, शारीरिक प्रताड़ना और यौन शोषण जैसे कृत्यों को भी स्वीकार नहीं किया जा सकता.'
अखबार के मुताबिक, उसने वायुसेना के प्रवक्ता से जब इस पत्र के सिलसिले में प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की, तो उन्होंने इसे 'आंतरिक मामला' बताते हुए कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.