Advertisement

एयरलाइन कंपनियां अगर परियां नहीं हैं तो राक्षस भी नहीं: अशोक गजपति राजू

हवाई यात्रा के लिए किराया सीमा तय करने की मांग के खिलाफ अडिग रहते हुए उन्होंने कहा कि पिछले साल एक विश्लेषण किया गया जिसमें यह बात सामने आई कि महज 1.7 फीसदी टिकट ही ऊंची कीमतों पर बेचे जाते हैं.

हाल ही में नई ऐविएशन पॉलिसी लागू हुई है हाल ही में नई ऐविएशन पॉलिसी लागू हुई है
लव रघुवंशी
  • नई दिल्ली,
  • 23 जून 2016,
  • अपडेटेड 7:51 AM IST

हवाई किरायों में मनमानी बढ़ोतरी को लेकर बढ़ती चिंता के बीच नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू ने कहा कि हो सकता है कि ‘एयरलाइन कंपनियां परियां नहीं हों लेकिन निश्चित तौर पर वो ‘राक्षस’ भी नहीं हैं.’ उन्होंने साफ किया कि हद से ज्यादा हवाई किरायों से निपटने का कोई आसान समाधान नहीं हो सकता. वह किरायों की सीमा तय किए जाने का विचार छोड़ चुके हैं क्योंकि इससे न्यूनतम किरायों में बढ़ोतरी होगी.

Advertisement

हवाई यात्रा के लिए किराया सीमा तय करने की मांग के खिलाफ अडिग रहते हुए उन्होंने कहा कि पिछले साल एक विश्लेषण किया गया जिसमें यह बात सामने आई कि महज 1.7 फीसदी टिकट ही ऊंची कीमतों पर बेचे जाते हैं.

हवाई किरायों की सीमा तय किए जाने के एक सवाल पर उन्होंने कहा, ‘अधिकतम और न्यूनतम सीमा तय किया जाना रोचक हैं लेकिन हमें ऐसी स्थिति में नहीं पड़ना चाहिये जहां 1.7 प्रतिशत यात्रियों को फायदा पहुंचाने के लिए 90 प्रतिशत यात्रियों के लिए किराये को बढ़ा दिया जाए.’ राजू ने इस बात पर जोर दिया कि चेन्नई और श्रीनगर में बाढ़ संकट के दौरान एयरलाइन कंपनियों ने हवाई किराये को तर्कसंगत स्तर पर रखा और सरकार का मकसद भी यही सुनिश्चित करना चाहिए है कि हवाई यात्रा किराया तर्कसंगत दायरे में रहे.

Advertisement

राजू ने कहा, 'एयरलाइन हो सकता है कि परियां नहीं हों लेकिन निश्चित रूप से राक्षस भी नहीं हैं. हमें उनके साथ काम करके ऊंचे किरायों के मामले में एक समाधान खोजने की जरूरत है. यह वे समस्याएं हैं जिनका अपने आप कोई आसान समाधान नहीं हो सकता.'

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement