Advertisement

अजमेर धमाके के दोषी ने मदद के लिए की थी योगी आदित्यनाथ से मुलाकात!

राजस्थान के अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर 11 अक्टूबर 2007 में हुए बम ब्लास्ट केस में दोषी करार दिए गए सुनील जोशी ने योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी. यह खुलासा स्वामी असीमानंद के उस 'इकबालिया' बयान में है, जिसे सीआरपीसी के सेक्शन 164 के तहत दर्ज किया गया था.

यूपी के मुख्यमंत्री हैं योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री हैं योगी आदित्यनाथ
साद बिन उमर
  • नई दिल्ली,
  • 25 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 12:49 PM IST

राजस्थान के अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर 11 अक्टूबर 2007 में हुए बम ब्लास्ट केस में दोषी करार दिए गए सुनील जोशी ने योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी. यह खुलासा स्वामी असीमानंद के उस 'इकबालिया' बयान में है, जिसे सीआरपीसी के सेक्शन 164 के तहत दर्ज किया गया था.

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, राजस्थान एटीएस और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की जांच में यह पता चला कि सुनील जोशी ने 2006 के मार्च-अप्रैल में गोरखपुर में आदित्यनाथ के आवास पर उनसे मुलाकात की थी. एनआईए ने बाद में यह भी दावा किया था कि दिसंबर 2007 में मध्य प्रदेश के देवास में जोशी की हत्या होने के बाद उनकी जेब से मिली डायरी में योगी का फोन नंबर भी मिला था.

Advertisement

खबर के मुताबिक, असीमानंद के सहयोगी रतेश्वर ने पहले एनआईए और फिर जज के सामने दिए इकबालिया बयान में कहा था कि मार्च 2006 में असीमानंद ने उससे सुनील जोशी उर्फ मनोज के साथ जाने को कहा था. रतेश्वर ने अपने बयान में कहा था, 'मनोज ने मुझे फोन पर बताया कि स्वामी असीमानंद ने किसी खास काम के लिए उन्हें झारखंड, आगरा, गोरखपुर और नागपुर जाने को कहा है और मुझे भी उनके साथ चलना चाहिए. मैंने फिर असीमानंद जी से भी इसके लिए पूछा...'

इस मामले में दायर चार्जशीट के मुताबिक, इंदौर में जोशी और रतेश्वर की मुलाकात हुई और वे दोनों वहां से चितरंजन चले गए. वहां वह आरएसएस के जामतारा जिला प्रचारक देवेंद्र गुप्ता के साथ संघ कार्यालय में दो दिनों तक रुके. फिर वे दोनों असीमानंद के निर्देशानुसार आगरा के लिए रवाना हो गए, जहां उनकी मुलाकात आगरा ग्रामीण संघ के राजेश्वर सिंह से हुई.' बता दें कि वर्ष 2015 में आगरा में 200 से ज्यादा मुस्लिमों के धर्मांतरण के मामले में राजेश्वर मुख्य संदिग्ध है.

Advertisement

वहीं टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी खबर में बताया कि राजेश्वर फिर जोशी और रतेश्वर को योगी आदित्यनाथ से मिलवाने के लिए गोरखपुर ले गया, जहां उन्होंने योगी से कथित तौर पर सिम कार्ड्स और हथियारों का इंतजाम करने के लिए कहा था. हालांकि योगी ने इसमें कोई दिलचस्पी न दिखाते हुए उन्हें वहां से टरका दिया.

सीआरपीसी के सेक्शन 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए गए असीमानंद के बयान के मुताबिक, उस दिन दोनों को योगी से अकेले में मुलाकात का वक्त नहीं मिला. इसके मुताबिक, योगी ने बातचीत में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और किसी दूसरे दिन आने कहा. योगी ने कहा, 'मैं व्यस्त हूं. वक्त लेकर आप मुझसे कभी दोबारा मिल सकते हैं.'

इसके बाद, जोशी और रतेश्वर ने गोरखपुर छोड़ दिया और योगी से दोबारा मिलने की कोशिश नहीं की. वहीं, असीमानंद के 'इकबालिया' बयान के मुताबिक, उन्हें सुनील जोशी ने जून 2006 में बताया था कि उसे योगी या राजेश्वर से कोई मदद नहीं मिली. हालांकि बाद में असीमानंद अपने दिए बयान से पलट गए और दावा किया कि उन्होंने यह कुछ दबाव में कहा था.

बता दें कि अजमेर धमाके में आरोपी असीमानंद और उनके सहयोगी भारत मोहन रतेश्वर को हाल ही में जयपुर की विशेष एनआईए अदालत ने बरी कर दिया था. वहीं इस मामले में आरएसएस के पूर्व प्रचारक सुशील जोशी के अलावा भावेश पटेल और देवेंद्र गुप्ता को दोषी करार दिया था. जोशी की जहां मौत हो चुकी है, वहीं अन्य दोनों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement