
पिता से दूरी बनाने और समाजवादी पार्टी में जो कुछ गलत हो रहा है उसका ठीकरा अपने चाचा शिवपाल पर फोड़ने वाले अखिलेश सिंह यादव की यूपी में लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. इसे देखकर बीजेपी और बसपा सशंकित हो गई हैं. बीजेपी में अब इस बात के लिए दबाव बढ़ रहा है कि यूपी चुनाव के लिए वह कोई मुख्यमंत्री को चेहरा सामने लाए.
सपा के घमासान ने दूसरे दलों का चुनावी गणित भी गड़बड़ा दिया है. बीजेपी और बसपा जैसे राजनीतिक दल सांस रोके हुए पूरे हालात पर नजर गड़ाए हुए हैं. खासकर शनिवार को चाचा-भतीजा के बीच जो टकराव हुआ, उससे अखिलेश यादव की पार्टी में स्थिति और मजबूत हुई है और उनके साथ बड़ी संख्या में विधायकों के दिखने से साफ हो गया है कि सपा का असल नेता कौन है. इसके बाद अब बीजेपी को भी अपनी रणनीति बदलनी पड़ सकती है. अखिलेश यदि अपनी पार्टी के पूरे भूचाल को नियंत्रण में कर लेते हैं और विरोध को पूरी तरह से दबा देते हैं, तो बीजेपी को कोई सीएम चेहरा सामने लाने को मजबूर होना पड़ सकता है.
हालांकि कुछ बीजेपी के नेताओं का कहना है कि समाजवादी पार्टी में जो कुछ हो रहा है वह तय 'पटकथा' के मुताबिक ही है और जनता इस बात को समझ रही है. बीजेपी नेताओं का कहना है कि वह अभी देखने और इंतजार करने की ही नीति अपनाएंगे, क्योंकि अखिलेश को मजबूत और अच्छी छवि का पेश करने का जो 'ड्रामा' चल रहा है , उससे उनकी लोकप्रियता आगे चलकर कम हो सकती है. बीजेपी के सामने मुश्किल यह भी है कि पार्टी में किसी एक चेहरे को लेकर एकराय नहीं है और इस समय किसी भी चेहरे को पेश करने से बहुत से नेताओं के बागी होने की आशंका बनी हुई है.
कुछ बीजेपी नेताओं का कहना है कि बीजेपी अब अस्थिरता और कुनबे की लड़ाई को अपना मंत्र बनाकर लोगों के बीच जाएगी और स्थिरता और विकास जैसे नारों के साथ वोट मांगेगी. उनका कहना है कि सपा की लड़ाई सूबे में भाजपा के लिए अच्छे दिन का संकेत हैं.