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राम मंदिर पर नया फॉर्मूला देने वाले मौलाना पर गिर सकती है गाज

बोर्ड की तरफ से ये भी कहा गया है कि वह बाबरी मस्जिद पर बातचीत का हमेशा स्वागत करता है, लेकिन अब बोर्ड को कोर्ट के फैसले का इंतजार है.

बोर्ड की बैठक के दौरान मौजूद सदस्य बोर्ड की बैठक के दौरान मौजूद सदस्य
जावेद अख़्तर
  • हैदराबाद,
  • 10 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 2:16 PM IST

अयोध्या विवाद पर सलमान हुसैन नदवी के प्रस्ताव से नाराजगी के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड उनके खिलाफ जल्द कार्रवाई कर सकता है. हैदराबाद में चल रही बोर्ड की तीन दिवसीय बैठक के दूसरे दिन शनिवार को इस मसले पर चर्चा की गई. सूत्रों के मुताबिक, नदवी को बोर्ड की सदस्यता से हटाया जा सकता है.

दरअसल, शुक्रवार को बोर्ड की मीटिंग से पहले सलमान हुसैन नदवी ने राम मंदिर निर्माण को लेकर एक प्रस्ताव रखा था. इस प्रस्ताव में उन्होंने बातचीत कर अयोध्या विवाद सुलझाने और मस्जिद के लिए कहीं और जमीन लेने का प्रस्ताव दिया था. नदवी के इस बयान के बाद काफी विवाद हुआ है.

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जिसके बाद आज दूसरे दिन हैदराबाद में AIMPLB की बैठक हुई. एक तरफ नदवी इस बैठक से ही नदारद दिखे, तो वहीं दूसरी तरफ आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर से मुलाकात और बाबरी मस्जिद के लिए नया फॉर्मूला देने के लिए नदवी को बोर्ड के हटाने पर चर्चा हुई. 

नदवी ने भले ही सुप्रीम कोर्ट के बाहर विवाद सुलझाने और एक नया फॉर्मूला अपनाने की राय दी हो, लेकिन AIMPLB ने शुक्रवार को ही साफ कर दिया था कि वह बाबरी मस्जिद को लेकर अपने पुराने स्टैंड पर कायम है. बोर्ड ने साफ कहा है कि वह अपने पुराने रुख पर कायम है और मस्जिद के लिए समर्पित जमीन न तो बेची जा सकती, न उपहार में दी जा सकती और ना ही इसे त्यागा जा सकता है.

शुक्रवार शाम बोर्ड की कार्यकारी समिति की बैठक के बाद बयान जारी कर कहा गया कि 'बोर्ड ने एक बार फिर शरिया के मौलिक स्तर पर जोर दिया कि मस्जिद के लिए समर्पित जमीन को न तो बेचा जा सकता, न उपहार में दिया जा सकता और ना ही इसे त्यागा जा सकता है.'

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इस बैठक में एआईएमआईएम के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी मौजूद रहे. बोर्ड की तरफ से ये भी कहा गया है कि वह बाबरी मस्जिद पर बातचीत का हमेशा स्वागत करता है. अतीत में भी ऐसे प्रयास हुए हैं. अब बोर्ड को कोर्ट के फैसले का इंतजार है.

बोर्ड की तरफ से एक ट्वीट में ये भी कहा गया है कि बाबरी केस आस्था का विषय नहीं है, बल्कि जमीन के मालिकाना का है और इस संबंध में कोर्ट का जो भी फैसला आएगा वो हमें स्वीकार होगा.

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