
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने रविवार को कई मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बैठक का आयोजन किया. जिसमें कॉमन सिविल कोड सहित कई अहम मसलों पर चर्चा हुई. बोर्ड की बैठक में कहा गया कि देश में नफरत का जहर घोला जा रहा है, जो देश के लिए नुकसानदायक है. बैठक में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हुए. AIMPLB की बैठक में AIMIM प्रमुख ओवैसी सहित 51 कार्यकारी सदस्य हैं.
एआईएमपीएलबी के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने बताया कि बैठक में चर्चा हुई कि देश के संविधान में हर व्यक्ति को अपने धर्म पर अमल करने की आजादी दी गई है. इसमें पर्सनल लॉ भी शामिल है, इसलिए हुकूमत मजहबी आजादी का एहतराम करें और यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करना एक गैर जरूरी अमल होगा. इतने बड़े देश में जहां कई धर्मों को मानने वाले लोग हैं, वहा इस तरह का कानून मुमकिन नहीं है और न ही इससे देश का कोई फायदा होगा.
उन्होंने कहा कि 1991 के प्लेसिस आफ वरशिप एक्ट पर भी बोर्ड में चर्चा हुई और कहा गया कि ये कानून हुकूमत का बनाया हुआ कानून है. जिसे संसद ने पास किया है. उसको कायम रखना सरकार की जिम्मेदारी है, इससे देश का फायदा भी है. रहमानी ने कहा कि वक्फ की सुरक्षा और गरीबों और मुसलमानों की शिक्षा के लिए इसका इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है, महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने और सामाजिक जीवन में उनकी भागीदारी बढ़ाने पर भी चर्चा की गई.
मोहसिन रजा ने साधा निशाना
इस पर पूर्व मंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि ये मुस्लिम लॉ बोर्ड एक एनजीओ है. जब जब ये चीज करती है तो कॉन्ट्रोवर्सी करती है. क्योंकि इनको महिमांडित किया था कांग्रेस, सपा, बसपा ने और इस तरह के कई दलों ने. क्योंकि ये इन दलों के लिए वोट बैंक तैयार करती है और मुस्लिमों के ठेकेदार बनते हैं. ये संविधान की दुहाई देकर अपराधियों को बचाने का प्रयास करेंगे. अवैध धर्मांतरण वालों के संरक्षण में खड़े हो जाएंगे. कम से कम इनको सोचना चाहिए कि आपको बोलने का अधिकार किसने दे दिया.