
उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े सियासी यादव परिवार में कलह ऐसे वक्त मची है जब सिर पर विधानसभा चुनाव हैं. इस परिवार के एक सदस्य रामगोपाल यादव को समाजवादी पार्टी से ही निकाल दिया गया है. 6 साल तक समाजवादी पार्टी से बाहर रहने के बाद पांच महीने पहले अमर सिंह की पार्टी में 'घर वापसी' हुई तो अंदेशा हो गया था कि अब समाजवादी कुनबे में कलह होनी तय है. जनवरी 2010 में रामगोपाल यादव से विवाद की वजह से अमर सिंह को समाजवादी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया था. पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच 'प्रोफेसर साहब' के तौर पर मशहूर रामगोपाल यादव की अमर सिंह और शिवपाल यादव से कटु रिश्ते रहे हैं. लेकिन अमर सिंह को 'बाहरी' बताकर उनपर हमला बोलने की कीमत रामगोपाल को चुकानी पड़ी है.
मुलायम और शिवपाल के चचेरे भाई रामगोपाल की पार्टी में भूमिका 'थिंक टैंक' के रूप में थी. हाल के दिनों में सपा में मचे घमासान के दौरान रामगोपाल हर वक्त अखिलेश के साथ खड़े रहे. रविवार सुबह रामगोपाल ने सपा कार्यकर्ताओं को चिट्ठी लिखकर अखिलेश यादव को समाजवादी पार्टी का भविष्य बताया था. रामगोपाल ने नाम लिए बिना शिवपाल को भ्रष्टाचारी और व्यभिचारी तक कहा. रामगोपाल ने अपनी चिट्ठी में लिखा- 'उन लोगों ने हजारों करोड़ रुपए जमा किए हैं. व्याभिचारी हैं. अखिलेश को हराना चाहते हैं. पर जहां अखिलेश, वहां विजय है.'
उधर, रामगोपाल को पार्टी से 6 साल के लिए निकाले जाने का फरमान शिवपाल ने सुनाया. इस दौरान शिवपाल ने रामगोपाल पर बीजेपी के साथ मिलकर साजिश करते हुए समाजवादी पार्टी को कमजोर करने और अखिलेश यादव की इमेज खराब करने का आरोप लगाया. रामगोपाल को पार्टी से निकालते वक्त शिवपाल बोले कि उनके बेटे-बहू यादव सिंह केस में फंसे हैं. इसलिए तिकड़म कर रहे हैं. पार्टी में उन्होंने गिरोह बना लिया है. शिवपाल ने रामगोपाल पर पार्टी तोड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि वो सीबीआई से डरकर बीजेपी से मिल गए हैं.
समाजवादी कुनबे में जारी कलह का सूत्रधार अमर सिंह को बताकर राज्यसभा सदस्य पर उंगली उठाई जा रही है. आपस की 'तू-तू', 'मैं-मैं' के इस दौर में सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने बेटे अखिलेश को भी जमकर खरी-खोटी सुनाई है. लेकिन रामगोपाल को पार्टी से निकालकर नेताजी ने संदेश दे दिया है कि चाहे जो भी हो जाए, अब वो अमर सिंह का साथ छोड़ने वाले नहीं हैं. साफ है कि सपा मुखिया अमर सिंह की कीमत पर कोई समझौता नहीं करने वाले हैं और अमर सिंह मुलायम के दिल में बने रहेंगे.
पार्टी के अंदर तमाम विरोधों के बावजूद मुलायम ने अमर सिंह को राज्यसभा भेजा. इसके बाद अमर सिंह ने मुलायम पर दबाव बनाकर अपनी करीबी जयाप्रदा को फिल्म विकास परिषद का उपाध्यक्ष मनोनीत कराकर उनका ‘पुनर्वास’ करा भी लिया. लेकिन इसके बाद जब उन्होंने शिवपाल को मोहरा बनाकर सरकार के कामकाज में दखलअंदाजी और पार्टी में अपना दबदबा बनाने की शुरुआत की तो अखिलेश ने उनसे दूरी बनानी शुरू कर दी और उन्होंने ताबड़तोड़ कई फैसले करके अमर सिंह को संदेश दे दिया कि उनकी मनमानी चलने नहीं देंगे. इस दौर में हर कदम पर रामगोपाल ने अखिलेश का साथ दिया.
अमर सिंह की समाजवादी पार्टी में वापसी में रामगोपाल रोड़ा बनकर खड़े रहे. यही नहीं, उन्होंने पार्टी की तरफ से अमर सिंह को राज्यसभा के लिए उम्मीदवार बनाए जाने का विरोध भी किया. इसके लिए रामगोपाल ने अमर सिंह के धुर विरोधी आजम खान से भी मिले. लेकिन उनकी तमाम कोशिशें नाकाम रहीं. राज्यसभा सदस्य चुने जाने के बाद अमर सिंह फॉर्म में आ गए हैं. परिवार के ताजा झगड़े में रामगोपाल को पार्टी से बाहर कराकर अमर सिंह ने पुराना हिसाब चुकता कर लिया है.