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सच क्या? NRC पर सीना ठोंक रहे अमित शाह, राजनाथ ने कहा था- सरकार का कोई रोल नहीं!

अमित शाह ने आज राज्यसभा में अपने बयान में 1985 के असम एकॉर्ड का हवाला देते हुए कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ही इसे लेकर आए थे लेकिन कांग्रेस के पास इसे लागू करने की हिम्मत नहीं थी.

राज्यसभा में अमित शाह राज्यसभा में अमित शाह
अनुग्रह मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 31 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 4:21 PM IST

असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के मुद्दे पर राजनीति तेज हो गई है. मंगलवार को NRC पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में बीजेपी सांसद अमित शाह ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस की सरकार में असम समझौता लागू करने की हिम्मत नहीं थी और अब हम इसे लागू करने जा रहे हैं. शाह एक ओर एनआरसी का क्रेडिट लेते हुए सीना ठोंक रहे हैं, वहीं उन्हीं की सरकार के गृहमंत्री राजनाथ सिंह इस मामले में सरकार की कोई भी भूमिका न होने का दावा कर रहे हैं.

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अमित शाह ने आज राज्यसभा में अपने बयान में 1985 के असम एकॉर्ड का हवाला देते हुए कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ही इसे लेकर आए थे लेकिन कांग्रेस के पास इसे लागू करने की हिम्मत नहीं थी. शाह ने विपक्षी सांसदों पर निशाना साधते हुए कहा कि 40 लाख घुसपैठियों को कौन बचाना चाहता है. इस बयान के बाद सदन में जोरदार हंगामा हुआ और कार्यवाही पूरे दिन के लिए ठप हो गई.

गौर करने वाली बात ये है कि बीजेपी अध्यक्ष ने संसद में जो बयान दिया वह उन्हीं की पार्टी के सांसद और देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बयान से ठीक उलट है. राजनाथ ने एनआरसी के फैसले को राजनीति से प्रेरित न बताते हुए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इसका ड्राफ्ट लाने की बात कही थी.

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राजनाथ ने क्या कहा था?

सोमवार को ही लोकसभा में विपक्ष के आरोपों पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'मैं स्पष्ट करना चाहता हूं अध्यक्ष महोदया, सरकार ने उसमें कुछ भी नहीं किया, जो कुछ भी काम चल रहा है वह सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रहा है. बार-बार यह कहना कि सरकार ने ये कर दिया, सरकार बड़ी निर्मम हो गई है, इस प्रकार के आरोप बेबुनियाद हैं.'

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में यह भी कहा कि जो लिस्ट आई है वह भी अंतिम नहीं है और सभी को 28 अगस्त के बाद अपनी बात कहने का मौका मिलेगा. इसके लिए 2-3 महीने का वक्त दिया जाएगा और कब तक मामलों का निपटान होगा, यह भी सुप्रीम कोर्ट को ही तय करना है. साथ ही उन्होंने विपक्ष की आशंकाओं का जवाब देते हुए सदन में कहा कि विदेशी ट्रिब्यूनल में जाने के रास्ते भी खुले हुए हैं और इस पर किसी तरह का डर फैलाने की जरूरत नहीं है. गृहमंत्री ने कहा कि किसी के साथ भी जबदस्ती कतई नहीं की जाएगी.

राजनाथ के बयान के अगले ही दिन मंगलवार को NRC के मुद्दे पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने राज्यसभा के भीतर राजनीतिक बयान देकर बवाल खड़ा कर दिया. शाह ने बाकायदा सीना ठोंक कर कहा कि हममें ये रजिस्टर लाने की हिम्मत थी और विपक्ष क्यों अवैध घुसपैठियों को बचाना चाहता है. शाह के बयान पर कांग्रेस और टीएमसी के सांसदों ने आपत्ति जताई और वेल में आकर प्रदर्शन किया. हंगामा बढ़ता देख सभापति वेंकैया नायडू को सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी.

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