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संसद में भी गूंजा 'पकौड़ा रोजगार', शाह बोले- बनाना नहीं, मजाक उड़ाना शर्म की बात

अमित शाह ने चिदंबरम के बयान का जिक्र किया और कहा कि पकौड़ा बनाना कोई शर्म की बात नहीं है. उन्होंने कहा कि पकौड़ा बनाना नहीं बल्कि, उसकी तुलना भिखारी से करना शर्म की बात है.

बीजेपी सांसद अमित शाह बीजेपी सांसद अमित शाह
जावेद अख़्तर/अशोक सिंघल
  • नई दिल्ली,
  • 05 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 5:24 PM IST

रोजगार के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दिया गया बयान अब सदन तक पहुंच गया है. सोमवार को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद अमित शाह ने राज्यसभा में अपना पहला भाषण दिया. इस दौरान उन्होंने रोजगार को लेकर पीएम मोदी के बयान का समर्थन किया और कांग्रेस को मजाक न बनाने की नसीहत दी.

दरअसल, हाल में एक टीवी इंटरव्यू के दौरान जब पीएम मोदी से रोजगार सृजन को लेकर सवाल किया गया था. जिसके जवाब में उन्होंने कहा था कि अगर कोई पकौड़ा बेचकर हर रोज 200 रुपये कमाता है तो उसे भी नौकरी के तौर पर देखा जाना चाहिए. पीएम के इसी बयान पर विपक्षी दल लगातार टिप्पणी कर रहे हैं. कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने भी इस पर कमेंट किया था.

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सदन में अपने पहले भाषण के दौरान अमित शाह ने चिदंबरम के बयान का जिक्र किया और कहा कि पकौड़ा बनाना कोई शर्म की बात नहीं है. उन्होंने कहा कि पकौड़ा बनाना नहीं बल्कि, उसकी तुलना भिखारी के साथ करना शर्म की बात है.

इससे आगे अमित शाह ने कहा कि अगर कोई पकौड़े बेचकर रोजगार करता है और अपने बच्चों को पढ़ाता लिखाता है, तो आगे चलकर उसके बच्चे कुछ बन सकेंगे. उन्होंने पीएम मोदी का भी हवाला दिया और कहा कि जैसे एक चाय बेचने वाले व्यक्ति का बेटा देश का प्रधानमंत्री बना है, वैसे पकौड़े वाले का बेटा भी आगे जाकर कुछ बन सकता है.

'देश में बेरोजगारी की समस्या'

हालांकि, अपने भाषण में अमित शाह ने ये माना कि देश में बेरोजगारी की समस्या है. लेकिन इसके लिए उन्होंने कांग्रेस सरकारों को जिम्मेदार बताया. उन्होंने कहा कि हमें सरकार में सेवा देना का कम ही मौका मिला है और जो हमारी पार्टी की सरकार ने किया है, वो पिछले 60 सालों में नहीं हुआ था.

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ये था चिदंबरम का बयान

चिदंबरम ने ट्वीट किया था, 'प्रधानमंत्री ने कहा था कि पकौड़ा बेचना भी एक रोजगार है. उस तर्क से तो भीख मांगना भी रोजगार है. चलिये जीने के लिए भीख मांगने के लिए बाध्य गरीब या विकलांग व्यक्तियों को भी रोजगार वाले व्यक्तियों के तौर गिन लेते हैं.'

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