Advertisement

अमृतसर रेल हादसा: दशहरे का दिन दे गया ये दर्द भरी कहानियां...

जालंधर से अमृतसर जा रही ट्रेन की चपेट में आने से 59 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई वहीं 57 जख्मी हो गए. जानिए हादसे के मंजर को बयां  करती  हकीकत खुद चश्मदीदों और पीड़‍िताें की जुबानी...

फोटो साभार- इंडिया टुडे फोटो साभार- इंडिया टुडे
राहुल झारिया
  • अमृतसर,
  • 20 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 3:52 PM IST

शुक्रवार शाम पूरे देश के साथ ही पंजाब के अमृतसर में भी दशहरा मनाया जा रहा था. यहां के चौड़ा बाजार के पास लोग रावण दहन देखने के लिए इकट्ठा हुए और उसी वक्त जालंधर से अमृतसर जा रही ट्रेन की चपेट में आने से 59 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई. जानिए इस हिलाकर रख देने वाले हादसे के मंजर की कहानी खुद चश्मदीदों और पीड़‍िताें की जुबानी...

Advertisement

चश्मदीद: लाशें उछल रही थीं

लाशें उछल रही थीं, जिसकी वजह से मैं भी गिर गया ट्रेन इतनी तेजी से निकली कि उसके सामने जो भी आया उसकी जान चली गई, लाशें उछलकर आईं जिनसे टकराकर मैं भी गिर गया.

चश्मदीद: चारों तरफ लाशें ही लाशें थीं

जब रावण के पुतले को आग लगाई गई, तो पटाखों की तेज आवाज के साथ पुतला जलने लगा. उसी दौरान ट्रेन आ गई और पटरी पर जितने लोग थे उन्हें रौंदते हुए निकल गई. कई लोग ट्रेन से बचने के लिए इधर-उधर भागे जिससे वे चोटिल हो गए. कई लोगों को पत्थरों से चोट लगी. मैंने देखा कि मुझे ब्लीडिंग हो रही थी और चारों तरह लाशें ही लाशें थीं.

हम सब मेला देखने गए थे. जैसे ही रावण को आग लगाई, उसके बाद दूसरी साइड से इतनी तेजी से ट्रेन आई कि किसी को भनक ही नहीं लगी. पहली बार इतनी तेज ट्रेन गुजरी थी. हर बार यह ट्रेन लेट होती थी और सात बजे के बाद आती थी, लेकिन कल यह 6.45 बजे ही यहां से निकल गई.  

Advertisement

चश्मदीद: 1947 में देखा था ऐसा मंजर

ऐसा मंजर फिल्मों में 1947 को लेकर देखा था और सुना था. 1947 के बाद अमृतसर में ऐसा मंजर पहली बार देखा गया जब यहां पर सिर्फ और सिर्फ शव पड़े हैं. जो भी इसके लिए जिम्मेदार है उस पर कार्रवाई हो.

जब रावण जल रहा था तो तब रावण ट्रेन से कट रहा था

जिस रावण दहन को देखते हुए 60 लोगों ने अपनी जान गंवाई, उसी रामलीला में रावण का किरदार निभाने के बाद दलबीर सिंह भी  रावण दहन देख रहा था. और उसकी भी मौत हो गई. दलबीर की पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल है. उसे समझ नहीं आ रहा कि 8 महीने के बच्चे के साथ अब पूरी जिंदगी कैसे कटेगी. दलबीर को घर से उसकी पत्नी ने ही सजाकर भेजा था .

दलबीर की पत्नी ने बताया कि दलबीर वक्त से पहले घर से निकला था ताकि राम और लक्ष्मण का मेकअप कर सके, लेकिन उन्हें क्या पता था कि रावण बनना इस बार उन्हें भारी पड़ने वाला है.

बिखरे शवों और अंगों में अपनों की तलाश

बुजुर्ग सुनील कुमार अपने भाई की तस्वीर लेकर दर-दर भटक रहे हैं. उन्हें नहीं पता उनके भाई का क्या हुआ. वो रहे या नहीं रहे, ये भी नहीं पता. कुछ लोगों ने जरूर अनहोनी की खबर दी, लेकिन अब तक भाई का शव भी नहीं मिला है. लोगों से पूछ रहे हैं कि उसका भाई सुरेश कहां है, किसी ने कहीं देखा है?

Advertisement

सुनील कुमार के मुताबिक, हादसे के बाद ट्रैक पर भयावह मंजर था. पुलिस और प्रशासन ने बिखरे शवों और अंगों को समेटा, लेकिन क्या इन्हीं में सुरेश भी खो गया ये कोई बताने वाला नहीं है.

गुमशुदा लोगों का इंतजार काफी मुश्किलों भरा

हाथों में छोटी-सी तस्वीर लेकर अपने पापा को खोज रही मुस्कान के आंखों से आंसू थम नहीं रहे हैं. वह सब जगह गई, पापा को ढूंढा, लेकिन कुछ पता नहीं चला.

अब रेल की पटरियों पर पापा-पापा कहकर बिलख पड़ती है. उसकी मां भी उसके साथ घूमकर उसके पापा को ढूंढ रही है. हादसे की भयावहता को देख डर भी है, लेकिन दिल में  उम्मीद है.

ट्रेन हादसे में कुछ लोग इस तरह से कर बिखर गए कि कोई पहचान ही नहीं बची. बताया जाता है कि पुलिस ने आनन-फानन में घटनास्थल को साफ कर दिया. ऐसे में गुमशुदा लोगों का ढूंढ रहे परिवारवालों के लि‍ए ये इंतजार काफी मुश्किलों भरा है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement