
समाजसेवी अन्ना हजारे ने एक बार फिर रामलीला मैदान से भ्रष्ट्राचार मुक्त भारत और किसानों के हक के लिए अनशन का आगाज किया है. रामलीला मैदान फिर एक बार भारत माता की जय जैसे देश भक्ति के नारों से गूंज उठा है. 2011 के बाद अब 2018 में अन्ना हजारे ने नए सिरे से सत्याग्रह शुरू कर दिया है. फर्क इतना है कि 2011 में अन्ना का आंदोलन कांग्रेस सरकार के खिलाफ था और इस बार बीजेपी सरकार के खिलाफ है.
देश के राजधानी में अन्ना हजारे को इस बार कितना सर्मथन मिलता है, इस पर सबकी नजर है. वहीं अन्ना के गांव रालेगण सिद्धि में समर्थन दोगुना होता नजर आ रहा है.
पीएम मोदी का जलाया पुतला
आंदोलन के पहले ही दिन, रालेगण सिद्धि में गांव वालों ने पीएम नरेंद्र मोदी का पुतला जलाया. गांव वालों ने आरोप लगाया है कि समर्थन देने के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान पर आने वाली गाड़ियों को बीजेपी सरकार ने रोकना शुरू किया तो इसके विरोध में रालेगण सिद्धि में मोदी सरकार के खिलाफ नारे लगाए गए. साथ ही धमकी भी दी गई कि अगर जल्द उपाय नहीं किया तो आंदोलन और तेज करेंगे.
समर्थन में सड़क पर उतरी जनता
उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार को याद करना चाहिए कि 2011 में कांग्रेस सरकार द्वारा अन्ना आंदोलन जितना दबाने की कोशिश की गई वो उतना ही तेज हुआ. आंदोलन को समर्थन देने जनता सड़क पर उतरने लगी थी.
इस बार आमरण अनशन की मांगे है, सशक्त लोकपाल, लोक आयुक्त और किसानों के हित के लिए स्वामीनाथन आयोग लागू करना. अन्ना को सर्मथन देने के लिए देश भर से लोग दिल्ली पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.
बता दें कि अन्ना हजारे रामलीला मैदान पर आंदोलन के लिए बैठे तो गांववाले भी एक दिन के लिए अनशन पर बैठ गए हैं.