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प्रख्यात समाजसेवी अन्ना हजारे फिर से मोर्चा खोलने जा रहे हैं. इंडिया अगेंस्ट करप्शन के दौरान केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार की चूलें हिलाने के बाद हजारे अपने ही साथी और बाद में दिल्ली के मुख्यमंत्री बने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ लगातार बोलते रहे हैं.
लेकिन इस बार अन्ना हजारे के निशाने पर होगी केंद्र की मौजूदा बीजेपी की सरकार और खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. अन्ना हजारे अगले साल जनवरी के आखिरी सप्ताह में बीजेपी सरकार और नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपना आंदोलन शुरू करेंगे. गौरतलब है कि अगले साल मोदी के गृहराज्य गुजरात सहित कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं.
अन्ना हजारों ने रविवार को अपने गांव रालेगण सिद्धी में बीजेपी और मोदी के खिलाफ आंदोलन शुरू करने की घोषणा की. अन्ना हजारे ने कहा कि अपने नए टीम मेंबर्स के साथ दो दिन तक मंथन करने के बाद सशक्त लोकपाल कानून और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों, किसानों की कर्जमाफी तुरंत लागू करने सहित कई महत्वपूर्ण मुांगों को लेकर आंदोलन शुरू करने का फैसला लिया गया.
अन्ना हजारे ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री बातें तो बहुत अच्छी करते हैं, जिससे लोग उनकी बातों में आ जाते हैं और सब कुछ भूल जाते हैं.
दिल्ली में होने वाले इस आंदोलन से पहले अन्ना हजारे देश के सभी राज्यों का दौरा भी करेंगे, जहां वह जनता को इस आंदोलन के उद्देश्य के बारे में बताएंगे. अन्ना हजारे के साथ आंदोलन के मुद्दों पर विचार-मंथन के लिए उनकी टीम के नए सदस्य सभी राज्यों से रालेगण पहुंचे थे. हर टीम मेंबर ने अपने-अपने राज्य के हालात, सरकारी कामकाज तथा नेताओं के अधूरे आश्वासनों, जनता की राज्य और केंद्र सरकार के प्रति नाराजगी के कारणों को रखा. दो दिनों के मंथन के बाद आंदोलन के लिए 7 मुद्दे तय किए गए, जिन्हें पुरा करवाने के लिए अन्ना हजारे जनवरी के आखिरी सप्ताह में आंदोलन करेंगे.
अब देखना यह होगा कि क्या सेना से सेवानिवृत्ति के बाद समाजसेवा में लगे अन्ना हजारे इस आंदोलन को आखिरी मुकाम तक ले जा पाएंगे.