Advertisement

शाहीन बाग पर बोले आरिफ खान- सड़क पर बैठकर विचार थोपना भी एक तरह का आतंकवाद

जब केरल सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया था, तो केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इसका विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि नागरिकता केंद्रीय सूची का विषय है. लिहाजा नागरिकता को लेकर सिर्फ संसद ही कानून बना सकती है. राज्यों को नागरिकता से संबंधित कानून बनाने का कोई अधिकार ही नहीं हैं. केरल विधानसभा में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रस्ताव पारित करना असंवैधानिक है.

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (फाइल फोटोः PTI) केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (फाइल फोटोः PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 10:52 PM IST

  • CAA पर मोदी सरकार का पहले भी बचाव कर चुके हैं आरिफ खान
  • दिल्लीः शाहीन बाग में धरने पर बैठे प्रदर्शनकारी उठने को तैयार नहीं

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ शाहीन बाग में जारी प्रदर्शन के बीच केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ सड़क पर जिद करके बैठने को भी आतंकवाद करार दिया है.

Advertisement

आरिफ मोहम्मद खान ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा, 'संसद से पास किसी कानून या सरकार की किसी भी पॉलिसी पर मतभेद जताने का सबको अधिकार है और इस मतभेद के अधिकार का सम्मान भी किया जाना चाहिए. इसकी कोई दिक्कत नहीं हैं, लेकिन अगर पांच लोग दिल्ली के विज्ञान भवन में बैठ जाएं और कहें कि जब तक संसद हमारे मुताबिक कोई प्रस्ताव पारित नहीं करती है, तब तक हम नहीं उठेंगे, तो यह ठीक नहीं हैं. यह एक दूसरी तरह का आतंकवाद है.'

यह पहली बार नहीं है, जब केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के मसले पर मोदी सरकार का समर्थन किया है. इससे पहले जब केरल सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया था, तो आरिफ मोहम्मद खान ने इसका विरोध किया था.

Advertisement

पढ़ें: शाहीन बाग में प्रदर्शनकारी महिलाएं बोलीं- हटने का सवाल नहीं

उन्होंने कहा था कि नागरिकता केंद्रीय सूची का विषय है. लिहाजा नागरिकता को लेकर सिर्फ संसद ही कानून बना सकती है. राज्यों को नागरिकता से संबंधित कानून बनाने का कोई अधिकार ही नहीं हैं. केरल विधानसभा में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रस्ताव पारित करना असंवैधानिक है.

आरिफ मोहम्मद खान ने यह भी कहा था कि संसद के बनाए गए कानून को लागू करने के लिए राज्य सरकारें बाध्य हैं. इससे राज्य सरकारें इनकार नहीं कर सकती हैं. इसके अलावा जब केरल सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ अखबारों में विज्ञापन दिया, तो भी आरिफ खान ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला.

आपको बता दें कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ करीब 70 दिन से धरना प्रदर्शन हो रहा है. प्रदर्शनकारियों ने शाहीन बाग में कालिंदी कुंज सड़क भी बंद कर दिया है. इसके चलते लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

तीसरे दिन भी खाली हाथ लौटे वार्ताकार, नहीं खुला रास्ता

इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं भी लगाई गई हैं. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने और रास्ता खुलवाने के लिए वार्ताकारों को भेजा है. वार्ताकार सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन ने तीन दिन तक रोजाना शाहीन बाग पहुंचकर प्रदर्शनकारियों से बातचीत की. हालांकि प्रदर्शनकारी रास्ता खोलने को तैयार नहीं हुए.

Advertisement

शुक्रवार को प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगर दिल्ली पुलिस सुरक्षा का आश्वासन दे, तो हम दूसरा रास्ता खोल सकते हैं. इस पर दिल्ली पुलिस के एसएचओ ने फौरन कह दिया कि हम सुरक्षा का पूरा आश्वासन देते हैं. इसके बाद प्रदर्शनकारी कहने लगे कि दिल्ली पुलिस लिखित में सुरक्षा का आश्वासन दे, तभी हम दूसरा रास्ता खोलेंगे.

पढ़ें: चुपचाप पीछे बैठे थे संजय हेगड़े, शाहीन बाग मामले में कोर्ट की निगाह में कैसे आए?

प्रदर्शनकारियों का यह भी कहना है कि मोदी सरकार जब तक नागरिकता संशोधन अधिनियम को वापस नहीं ले लेती है, तब तक धरना प्रदर्शन खत्म नहीं किया जाएगा. उनका आरोप है कि यह कानून धर्म के आधार पर भेदभाव करता है. हालांकि मोदी सरकार का कहना है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम का हिंदुस्तान के मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है. यह कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता देने के लिए लाया गया है. यह किसी की नागरिकता छीनने वाला कानून नहीं हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement