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देशद्रोह नहीं है पाकिस्तान जिंदाबाद कहनाः पूर्व अटॉर्नी जनरल

पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी कहा कि यदि नारे कन्हैया ने नहीं लगाए थे तो उनके खिलाफ देशद्रोह का केस करना भी गलत है.  पाकिस्तान जिंदाबाद कहना दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन देशद्रोह नहीं.

पूर्व सॉलिसिटर जनरल सोली सोराबजी पूर्व सॉलिसिटर जनरल सोली सोराबजी
विकास वशिष्ठ
  • नई दिल्ली,
  • 16 फरवरी 2016,
  • अपडेटेड 12:54 PM IST

पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी ने कहा है राष्ट्रविरोधी नारे लगाना देशद्रोह नहीं है. उन्होंने देशद्रोह कानून की व्याख्या करते हुए कहा कि जेएनयू में लगे कुछ नारों से समस्या जरूर हो सकती है, लेकिन सिर्फ इस आधार पर कि कन्हैया कुमार उस वक्त वहां मौजूद थे, उनके खिलाफ देशद्रोह का केस नहीं बनता. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जिंदाबाद कहना दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन देशद्रोह नहीं.

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क्या है देशद्रोह?
कन्हैया के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा सही है या गलत यह पूछे जाने कहा कि यह तथ्यों पर निर्भर करता है. उन्होंने कहा कि सेक्शन 124A के मुताबिक देशद्रोह ऐसे शब्दों, ऐसे काम या किसी ऐसी क्रिया तक सीमित है, जो सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़े या हिंसा के लिए उकसाये.

...तो होता देशद्रोह
सोराबजी ने बताया कि यदि वे कहते कि भारत एक तानाशाही देश है. लोगों को उनके मूल अधिकारों के बारे में भी जानने नहीं दिया जा रहा और उनका विरोध व्यर्थ है और हमें इसे पलटना है तो यह हिंसा के लिए उकसाता है और देशद्रोह का केस बनता है. लेकिन यह भी तथ्यों पर निर्भर करता है. जब हम 'अफजल हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिंदा हैं' कहते हैं तो भी आपको देशद्रोह साबित करना होगा.

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...तो कन्हैया के साथ गलत हुआ
सोराबजी ने यह भी कहा कि यदि नारे कन्हैया ने नहीं लगाए थे तो उनके खिलाफ केस भी गलत है, जब तक कि उन्होंने खुद भीड़ को उकसाया न हो. यदि सिर्फ उनकी मौजूदगी के कारण केस हुआ है तो फिर फैसला भी गलत होगा.

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