
अगले लोकसभा चुनावों में बीजेपी को टक्कर देने के लिए क्षेत्रीय पार्टियों के महागठबंधन की तस्वीर अभी साफ नहीं है. वहीं दूसरी तरफ क़यास लगाए जा रहे हैं कि आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वाराणसी में फिर सीधे टक्कर देंगे.
पिछले लोकसभा चुनाव में केजरीवाल वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं. हारने के बावजूद उन्होंने दो लाख से ज्यादा वोट लेकर कांग्रेस को पीछे छोड़ा था. नई अटकलबाजी इलाहाबाद में पार्टी के नेता संजय सिंह के एक जवाब से शुरू हुई है. संजय सिंह से पूछा गया था कि क्या केजरीवाल फिर वाराणसी से पीएम मोदी को टक्कर देंगे तो उन्होंने कहा कि इस पर फैसला अभी नहीं लिया गया है. मोदी के खिलाफ चुनाव कौन लड़ेगा, यह महागठबंधन तय करेगा.
संजय सिंह ने इस बयान से संकेत दिया है कि आम आदमी पार्टी 2019 में महागठबंधन का हिस्सा होगी. हालांकि आम आदमी पार्टी ने गठबंधन का हिस्सा होने को लेकर अभी तक अपना रुख साफ नहीं किया है. संजय सिंह ने कहा कि 2019 में मोदी और नफरत के सौदागरों को रोकने के लिए सभी छोटे-बड़े विरोधी दलों को एक होना होगा. मगर आम आदमी पार्टी के महागठबंधन का हिस्सा होने के सवाल को वह टाल गए.
वाराणसी से निकलेगी जन अधिकार यात्रा
उधर, आम आदमी पार्टी बनारस में एक बार फिर से खुद को सक्रिय करने जा रही है. 25 जून आपातकाल दिवस के मौके पर संजय सिंह बनारस से जन अधिकार आंदोलन की शुरुआत करने जा रहे हैं. इसमें बीजेपी से नाराज चल रहे सांसद शत्रुघ्न सिन्हा और बीजेपी छोड़ चुके पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा भी हिस्सा लेंगे. संजय सिंह का कहना है कि मोदी आपातकाल के प्रतीक हैं. लोकतंत्र बचाने के लिए बीजेपी सरकार के खिलाफ यह यात्रा निकाली जा रही है, जिस का समापन 8 जुलाई को आपातकाल से लड़ने वाले नायक जयप्रकाश नारायण के गांव सिताब दियारा में होगा.
जाहिर है महागठबंधन की स्थिति में विरोधी दलों की भी कोशिश होगी कि पीएम मोदी के खिलाफ किसी बड़े चेहरे को ही वाराणसी से मैदान में उतारा जाए. कर्नाटक में कुमारास्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में अरविंद केजरीवाल भी मंच पर मौजूद थे. ऐसे में आम आदमी पार्टी 2019 के इस महागठबंधन का हिस्सा बनेगी ऐसा लग रहा है. इसीलिए यह कयास एक बार फिर लगाए जा रहे हैं कि क्या मोदी के साथ केजरीवाल क्या एक बार फिर बनारस में दो-दो हाथ करेंगे.