
यूरोपियन संघ के सांसदों के जम्मू-कश्मीर दौरे पर असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल खड़े किए हैं. आजतक से बातचीत करते हुए ओवैसी ने कहा कि ये यूरोपियन यूनियन का ऑफिशियल डेलिगेशन नहीं है. वहां पर किसी ने दावत नहीं दी, यहां डेलिगेशन के मेंबर अपने इंडिविजुअल केपेसिटी पर गए हैं. ओवैसी ने कहा कि मोदी सरकार में निराशा साफ नजर आती है. उसकी विदेश नीति में असमंजस की स्थिति है, कोई क्लेरिटी नहीं है.
ओवैसी ने कहा कि हम शुरू से कह रहे थे कि 370 को हटाना गलत और असंवैधानिक है. हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि आप ऐसे लोगों को उस जगह पर लेकर जा रहे हैं जिन्हें हिटलर और नाजी की विचारधारा को मानने वाले कहते हैं.
कश्मीर जाकर क्या जवाब देंगे
ओवैसी ने कहा कि दिल्ली के अंदर इससे बड़ा कन्फ्यूजन कभी नहीं दिखाई दिया. मैं तो जम्मू-कश्मीर नहीं जाऊंगा, क्योंकि हम जाकर वहां क्या बोलेंगे. मेरा सवाल है कि ये ऑफिसियल डेलिगेशन तो है नहीं, फिर क्यों उन्हें ले जाया गया. कौन हैं ये लोग, विदेश मंत्रालय कहता है कि हमारा ताल्लुक नहीं है.
सीएम की बेटी को SC से लेनी पड़ती है परमिशन
ओवैसी ने कहा कि एक मुख्यमंत्री की बेटी को सुप्रीम कोर्ट जाकर के परमिशन लेनी पड़ती है. एक पार्टी के प्रेसिडेंट को मिलने के लिए जाने नहीं देते हैं. आप उन लोगों को बुला रहे हैं जो हिटलर को चाहने वाले हैं और उनको आप कश्मीर लेकर जा रहे हैं. इससे बड़ी फजीहत और क्या होगी. अमेरिका का एक सीनेटर जाना चाहा रहा था तो उसे अपने जाने नहीं दिया. ओवैसी ने कहा कि बीजेपी नेता सुब्रमण्यस्वामी भी इसके खिलाफ हैं.
इससे पहले ओवैसी ने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए मशहूर गाने का जिक्र किया था. ओवैसी ने ट्वीट किया कि गैरों पर करम अपनों पर सितम, ए जाने वफा ये जुल्म न कर. रहने दे अभी थोड़ा सा धरम. दरअसल यह तंज ओवैसी ने विपक्ष के नेताओं को जम्मू-कश्मीर के दौरे पर जाने से रोकने पर कसा था.