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दिल्ली-वाराणसी ट्रेन-18 पटरी पर उतरने को तैयार, PMO की मंजूरी का इंतजार

ट्रेन 18 का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी के हाथों होना है लिहाजा रेल मंत्रालय ने इस बारे में अपना प्रस्ताव प्रधानमंत्री कार्यालय को भेज दिया है. प्रधानमंत्री कार्यालय की सहमति के बाद यह तय हो जाएगा की ट्रेन 18 का उद्घाटन प्रधानमंत्री किस जगह से करेंगे.

ट्रेन 18 ट्रेन 18
सिद्धार्थ तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 20 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 11:09 AM IST

180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर चलने के परीक्षण में खरी उतरने वाली ट्रेन 18 को 29 दिसंबर के दिन दिल्ली से वाराणसी के बीच में चलाने की योजना रेल मंत्रालय बना रहा है. इस ट्रेन का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी के हाथों होना है लिहाजा रेल मंत्रालय ने इस बारे में अपना प्रस्ताव प्रधानमंत्री कार्यालय को भेज दिया है. प्रधानमंत्री कार्यालय की सहमति के बाद यह तय हो जाएगा की ट्रेन 18 का उद्घाटन प्रधानमंत्री किस जगह से करेंगे.

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ट्रेन 18 देश में बनी सेमी हाई स्पीड ट्रेन है, इस ट्रेन को चेन्नई के इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में बनाया गया है. खास बात यह है कि यह ट्रेन पूरी तरह से भारतीय इंजीनियर्स ने डिजाइन किया है और इसका बौद्धिक संपदा अधिकार यानी आईपीआर भारतीय रेलवे के पास है, इससे पहले हम आपको बता दें कि बुधवार यानी 19 दिसंबर को चीज कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी यानी सीसीआरएस ने ट्रेन 18 का मुआयना किया.

ट्रेन 18 को अभी सीसीआरएस से हरी झंडी मिलनी बाकी है, सफदरजंग रेलवे स्टेशन पर सीसीआरएस शैलेश कुमार पाठक ने इस ट्रेन को सफदरजंग रेलवे स्टेशन से पटेल नगर रेलवे स्टेशन के बीच चला कर देखा. इस पर सफर कर उन्होंने इस ट्रेन से संबंधित तमाम बारीकियों को परखा और तमाम सवालों के जवाब संबंधित रेल अधिकारियों से पूछे. इसके बाद सीसीआरएस ने 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर ट्रेन को चलाकर दिखाने के लिए कहा, लेकिन दिल्ली के अंदर इस रफ्तार पर ट्रेन को नहीं चलाया जा सकता है.

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लिहाजा, 20 दिसंबर को दिल्ली से आगरा के बीच इस ट्रेन को तेज रफ्तार में चला कर एक बार फिर से सीसीआरएस स्कोर दिखाया जाएगा. उसके बाद यह उम्मीद की जा रही है कि ट्रेन 18 को सीसीआरएस की हरी झंडी मिल जाएगी.

चेन्नई की आईसीएफ फैक्ट्री में मैन्यूफैक्चर की गई ट्रेन 18 को 97 करोड़ रुपए की कीमत में बनाया गया है. इस तरह की ट्रेने बाहर के देशों में 160 करोड़ से लेकर 200 करोड़ के बीच में तैयार की जाती हैं, लिहाजा यह कहा जा सकता है कि भारत ने कम लागत में अच्छी ट्रेन बना कर तैयार की है. देश के अंदर बनाई गई ट्रेन 18 में 80 फीसदी कल पुर्जे मेक इन इंडिया के तहत देश में ही बने हुए हैं.

यह ट्रेन एयरोडायनेमिक डिजाइन की है और इसको 160 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज रफ्तार पर चलाने के लिए तैयार किया गया है. खास बात यह है कि ट्रेन 18 को 18 महीने की अवधि के दौरान सोचा गया और डिजाइन किया गया. इस नई नवेली ट्रेन के बारे में आईसीएफ के जनरल मैनेजर सुधांशु मणि ने जानकारी देते हुए बताया कि इस में दो ड्राइविंग ट्रेलर कोच हैं, जिनमें एयरोडायनेमिक ड्राइवर कैप डिजाइन की गई है. ट्रेन के अंदर 12 कोच हैं, अल्टरनेट कोच में मोटराइज्ड इंजन की व्यवस्था की गई है, जिससे पूरी ट्रेन एक साथ तेजी से चल सके और रुक सके. ट्रेन के डिब्बों को फुली शिल्ड गैंगवेज से जुड़ा गया है.

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अत्याधुनिक डिजाइन और तकनीक सेलेश ट्रेन 18 को मॉडर्न लुक दिया गया है. इस ट्रेन में शुरू से आखरी तक शीशे की विंडो लगाई गई है. ट्रेन के ड्राइवर के केबिन में ट्रेन मैनेजमेंट सिस्टम दिया गया है जिससे कैप का ड्राइवर ब्रेक कंट्रोल और ऑटोमेटेड डोर कंट्रोल को अपने नियंत्रण में रख सकेगा. इस ट्रेन के अंदर एडवांस्ड सस्पेंशन सिस्टम लगाया गया है जिसकी वजह से ट्रेन के अंदर बैठे मुसाफिरों को मामूली झटका भी नहीं लगेगा.

इस ट्रेन के अंदर लगाया गया एयर कंडीशन सिस्टम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है, यह जगह- जगह पर तापमान और मौसम को देखकर ट्रेन के अंदर का वातावरण कैसा रखा जाए इसको डिसाइड करेगा. इस ट्रेन को विकलांग लोगों के लिए मुफीद बनाया गया है. इसमें अपनी कुर्सी समेत कोई भी दिव्यांग ट्रेन में सफर कर सकेगा ट्रेन का इंटीरियर बेहतरीन है और साथ ही ट्रेन को वाईफाई और जीपीएस के साथ साथ तमाम अन्य यात्री सुविधाओं से लैस किया गया है.

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