असम के 28 जिलों में बाढ़, 3181 गांव बने टापू, अब तक 11 लोगों की मौत

असम में करीब 26 लाख लोग बाढ़ की चपेट में हैं. बाढ़ से असम के 3181 गांव टापू में तब्दील हो चुके हैं. बाढ़ और लैंडस्लाइड की चपेट में आने से 11 लोगों की जान जा चुकी है.

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असम में बाढ़ (IANS) असम में बाढ़ (IANS)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 15 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 8:12 AM IST

लगातार हो रही बारिश के कारण उत्तर पूर्व के मैदानी इलाकों में जलप्रलय जैसे हालात पैदा हो गए हैं. असम के 33 में से 28 जिले भीषण बाढ़ की चपेट में हैं. ब्रह्मपुत्र का पानी लगातार बढ़ता जा रहा है. सूबे में करीब 26 लाख लोग बाढ़ की चपेट में हैं. बाढ़ से असम के 3181 गांव टापू में तब्दील हो चुके हैं. बाढ़ और लैंडस्लाइड की चपेट में आने से 11 लोगों की जान जा चुकी है.

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मोरीगांव जिले में बाढ़ का प्रचंड प्रहार जारी है. यहां लहरों में फंसे लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाने और बचाने के लिए NDRF के जवान दिन-रात लगे हुए हैं. जलप्रलय के बीच लोग घर का जरूरी सामान ऊंची जगहों पर रखकर सुरक्षित ठिकानों पर चले गए हैं और बाढ़ के पानी के उतरने का इंतजार कर रहे हैं. मोरीगांव जिले के हर गांव की यही कहानी है. बाढ़ के पानी में बेहिसाब मुश्किलों के बीच जिंदगी कट रही है. जहां कभी भी और कुछ भी हो सकता है. ऐसे में एक बड़ी समस्या बुजुर्गों और बच्चों को सुरक्षित ठिकानों पर ले जाने की है.

ब्रह्मपुत्र की उफनती लहरें लोगों को लगातार डरा रही हैं. ऊपर से आसमान से बरसता पानी लोगों की मुश्किलें कई गुना बढ़ा रहा है. सिर्फ मोरीगांव जिले में ही साढ़े तीन लाख से ज्यादा लोग बाढ़ की चपेट में हैं. बाढ़ के आक्रमण के बीच BSF जवान डंडे से सहारे पानी की टोह लेते हुए आगे बढ़ रहे हैं. जरूरी सामानों को कुछ इस तरह से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा रहा है. बीएसएफ की चार बीओपी में पानी का कब्जा है.

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लगातार बारिश की वजह से शुक्रवार को असम के बराक घाटी और त्रिपुरा के लिए ट्रेन सेवाएं बाधित रहीं. बारिश की वजह से पूर्वोत्तर सीमावर्ती रेलवे (एनएफआर) के लुमडिंग-बदरपुर पहाड़ी खंड में रेल पटरियां प्रभावित हुई हैं. एनएफआर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पी.जे.शर्मा ने कहा कि जतिंगा लुमपुर और न्यू हरंगजाओ स्टेशनों के बीच पटरियां प्रभावित हुई हैं, जिससे अधिकारियों को क्षेत्र से जोड़ने वाली चार ट्रेनों को रद्द या गंतव्य से पहले रोक दिया गया है.

शर्मा ने कहा, "रेलवे पटरियों में दिक्कत शुक्रवार सुबह लगभग 9.30 बजे आई, जो ट्रेन के आवागमन के लिए सही नहीं था. मरम्मत का काम पहले ही शुरू हो चुका है और इसके बहाली में आठ घंटे से ज्यादा का समय लगेगा. परिणामस्वरूप कुछ ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है या अपने गंतव्य से पहले ही रोक दिया गया है."

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