
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर जारी विरोध-प्रदर्शन के बीच असम सरकार नागरिकता हासिल करने के लिए एक प्रस्ताव पर काम कर रही है. सूत्रों के मुताबिक, ये प्रस्ताव उनके लिए होगा जो भारत की नागरिकता पाना चाहते हैं.
सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार का प्रस्ताव है कि नागरिकता पाने के लिए लोगों को तीन महीने में आवेदन करना होगा. ये नियम 15 दिनों में तय किए जाने की संभावना है. दरअसल, नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) की प्रक्रिया इस सप्ताह शुरू होने के साथ ही पूर्वोत्तर, विशेष रूप से असम में इसका कार्यान्वयन केंद्र सरकार के लिए असली परीक्षा होगी.
हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि असम समझौते के खंड-6 के कार्यान्वयन के लिए एक उच्च स्तरीय समिति असमिया लोगों के हितों की रक्षा करेगी. चूंकि इनर लाइन परमिट (आईएलपी) प्रावधान असम में लागू नहीं है और सीएए केवल राज्य के जनजातीय क्षेत्रों को ही छूट देता है, ऐसे में राज्य में पहले से ही असंतोष के संकेत उभर रहे हैं.
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संविधान की छठी अनुसूची
सीएए के प्रावधान असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों पर लागू नहीं होते हैं, जैसा कि संविधान की छठी अनुसूची में शामिल है. यह बंगाल पूर्वी सीमा नियमन-1873 के तहत अधिसूचित 'इनर लाइन' के तहत आने वाले क्षेत्र हैं. इस प्रावधान का अर्थ है कि अधिनियम अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नागालैंड और मणिपुर जैसे राज्यों पर भी लागू नहीं होता है, जो असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों की तरह ही आईएलपी के अंतर्गत आते हैं, जो कि छठी अनुसूची में निर्दिष्ट है.
आईएलपी शासन
अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम के बाद मणिपुर चौथा राज्य है जहां आईएलपी पद्धति की शुरुआत हुई थी. आईएलपी शासन पद्धति वाले राज्यों का दौरा करने के लिए देश के अन्य राज्यों के लोगों सहित बाहरी लोगों को अनुमति लेने की आवश्यकता होती है. भूमि, नौकरी और अन्य सुविधाओं के संबंध में स्थानीय लोगों के लिए सुरक्षा भी है. आईएलपी प्रणाली का मुख्य उद्देश्य निर्दिष्ट राज्यों में अन्य भारतीय नागरिकों की पहुंच पर रोक लगाना है, ताकि यहां की मूल स्वदेशी आबादी की रक्षा की जा सके.
असम में प्रदर्शन
इस नए कानून में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न का सामना करते हुए 31 दिसंबर, 2014 तक भारत पहुंचे अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है. कानून बनने के बाद से ही देशभर में इसकी कड़ी निंदा की जा रही है और इसके विरोध में कई हिसक प्रदर्शन भी हो चुके हैं. इसके विरोध में असम में प्रदर्शन चल रहे हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सीएए को लागू करते समय असम में इस तरह के प्रदर्शन फिर से शुरू होते हैं, तो इसका न केवल पूर्वोत्तर की अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी परिणाम होंगे, बल्कि शेष भारत पर भी बड़ा प्रभाव पड़ेगा. (आईएएनएस से इनपुट)