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असम सरकार की मोदी सरकार से मांग- रद्द की जाए NRC की हालिया लिस्ट

असम सरकार ने केंद्र सरकार से हाल में जारी किए गए नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) को रद्द करने का आग्रह किया है. इस बात की जानकारी असम के वित्त मंत्री हेमंत विश्वा सरमा ने बुधवार को दी है.

 असम के वित्त मंत्री हेमंत विश्वा सरमा (फाइल फोटो, सोर्स- फेसबुक) असम के वित्त मंत्री हेमंत विश्वा सरमा (फाइल फोटो, सोर्स- फेसबुक)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 6:32 PM IST

  • NRC को रद्द करने की असम सरकार की मांग
  • असम सरकार ने NRC को नहीं किया स्वीकार
  • राज्य सरकार को अलग रखकर NRC पर हुआ काम
  • हेमंत विश्वा सरमा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किया दावा

असम सरकार ने केंद्र सरकार से हाल में जारी किए गए नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) को रद्द करने का आग्रह किया है. इस बात की जानकारी असम के वित्त मंत्री हेमंत विश्वा सरमा ने बुधवार को दी है.

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गुवाहाटी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए बीजेपी नेता ने कहा कि पार्टी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से वर्तमान स्वरूप में एनआरसी को खारिज करने का आग्रह किया है. असम सरकार ने NRC को स्वीकार नहीं किया है. असम सरकार और बीजेपी ने गृह मंत्री से NRC को अस्वीकार करने का अनुरोध किया है.

असम समझौते पर सवाल नहीं

सरमा ने कहा कि असम की राज्य सरकार ने पूरे देश के लिए एक राष्ट्रीय एनआरसी का समर्थ किया है. उन्होंने कहा कि अगर कट ऑफ साल 1971 है तो यह सभी राज्यों के लिए एक समान होना चाहिए. हम असम समझौते को रद्द करने के लिए नहीं कह रहे हैं.

राज्य सरकार को अलग रखकर हुई अपडेशन

एनआरसी के पूर्व राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला की कड़ी आलोचना करते हुए मंत्री ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार को अलग रखकर अपडेशन की प्रक्रिया पूरी की गई.

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बीजेपी नेता ने कहा कि पूरे देश को लगता है कि एनआरसी को असम सरकार ने अपडेट किया है. हम सिर्फ एक व्यक्ति की वजह से खामियाजा भुगत रहे हैं. हम सिस्टम की खामियों से चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि हजेला ने अलग इको सिस्टम की तहत शो चलाया. उसने सवालों की एक परत बना दी है. एक जनप्रतिनिधि के रूप में हमें अब जवाब देने में मुश्किल हो रही है.

पहले भी जता चुके हैं ऐतराज

असम में बीजेपी के लिए सबसे मजबूत चेहरों में से एक माने जाने वाले मंत्री हेमंत लगातार इस मुद्दे पर आवाज उठाते रहे हैं. हेमंत का कहना है कि 1971 से पहले बांग्लादेश से बतौर शरणार्थियों आए तमाम भारतीयों के नाम एनआरसी में शामिल नहीं किए गए हैं क्योंकि अफसरों ने शरणार्थी प्रमाण पत्र लेने से इनकार कर दिया था. कई लोगों ने आरोप लगाया है कि डेटा में हेरफेर करके अपात्र लोगों को लिस्ट में शामिल किया गया है.

(PTI इनपुट के साथ)

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