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NRC लिस्ट: 40 लाख लोगों का क्या होगा? 10 Points में समझें

नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस की जारी दूसरी लिस्ट में 40 लाख लोगों को शामिल नहीं किया गया है, अगर यह फिर से आवेदन करते हैं और इनकी नागरिकता चली जाती है तो फिर इनका क्या होगा. भारत में रहेंगे या फिर देश से बाहर जाएंगे?

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 31 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 12:19 PM IST

असम में जारी हुए नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) लिस्ट पर एक ओर राजनीति तेज होती जा रही है, तो दूसरी ओर वे लोग बेहद तनाव और संकट में आ गए हैं जिनके परिवार के कुछ सदस्यों के नाम इस लिस्ट में है, लेकिन कुछ के नाम अभी भी नदारद हैं. अगर आवेदन के बाद भी उनके नाम खारिज हो गए तो उनका क्या होगा.

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एनआरसी की जारी दूसरी लिस्ट में 2 करोड़ 89 लाख 83 हजार 677 लोगों को वैध नागरिक मान लिया गया है. जबकि इसके लिए 3,29,91,384 लोगों ने आवेदन किया था, जिसमें 40,07,707 लोगों को अवैध माना गया. इस तरह से 40 लाख से ज्यादा लोगों को बेघर होना पड़ेगा.

हालांकि इसको लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस एनआरसी में जारी लिस्ट का लगातार विरोध कर रही है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि कई लोगों के पास आधार कार्ड और पासपोर्ट होने के बावजूद उनका नाम ड्राफ्ट में नहीं है. सही दस्तावेजों के बावजूद लोगों को ड्राफ्ट में शामिल नहीं किया गया. उन्हें सरनेम की वजह से बाहर किया गया है. क्या बीजेपी सरकार जबरदस्ती लोगों को बाहर निकालना चाहती है?

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सरकार का कहना है कि जारी लिस्ट अंतिम नहीं है और जिन लोगों के नाम इसमें शामिल नहीं हैं वो इसके लिए पुराने आवेदन पत्र की रसीद के साथ अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. इस संबंध में ममता बनर्जी आज शाम गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात करने वाली हैं.

एनआरसी की लिस्ट आने के बाद बड़ी संख्या में लोग चिंतित हैं और उनका भविष्य भी अनिश्चित हो गया है. 10 बातों में जानते हैं कि आगे क्या होगा.

-एनआरसी के जरिए असम में रह रहे सभी भारतीय नागरिकों के नाम, पते और फोटो दर्ज कर लिए गए हैं. इस तरह से यह पहला मौका है जब पूरे राज्य में अवैध रूप से रहने वाले लोगों के बारे में जानकारी मिल सकेगी.

-असम पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां एनआरसी अपडेट किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में आदेश दिया था कि तय समय में इसे अपडेट किया जाए.

-नागरिकता कानून से इतर थोड़े अलग रूप में राज्य में असम अकॉर्ड, 1985 लागू है जो यह कहता है कि 24 मार्च, 1971 की आधी रात से पहले तक राज्य में आने वाले लोगों को भारतीय नागरिक माना जाएगा.

-दूसरी लिस्ट में जिन 40 लाख लोगों का नाम नहीं हैं उनके पास अभी भी शिकायत करने का मौका है. एनआरसी कोऑर्डिनेटर ने कहा कि फिलहाल इस लिस्ट के आधार पर किसी भी नागरिक को फिलहाल डिटेंशन सेंटर में नहीं भेजा जाएगा. यह शिकायत 30 जुलाई से 28, सितंबर के बीच की जा सकती है.

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-शिकायत करने के लिए हेल्पलाइन नंबर (15107) दिया गया है जिस पर किसी भी समय कॉल की जा सकती है. इसके अलावा असम से बाहर रहने वाले आवेदक नंबर (18003453762) पर फोन कर जानकारी अपनी दे सकते हैं. इस दौरान आवेदक को रसीद संख्या की जानकारी देनी होगी.

-लिस्ट के खिलाफ अगर शिकायत भी रिजेक्ट कर दिया जाता है तो लोगों के पास विदेश प्राधिकरण में अपील करने का मैका रहेगा. हालांकि यह मामला कितने दिन में निपटेगा इसके बारे में सुप्रीम कोर्ट को फैसला लेना होगा. वहीं गृह मंत्री राजनाथ सिंह का कहना है कि इस संबंध में पूरी पारदर्शिता बरती जाएगी. इसमें केंद्र की कोई भूमिका नहीं है. यह सब कुछ सुप्रीम कोर्ट के निगरानी में हो रहा है.

-एनआरसी लिस्ट से बाहर हुए 40 लाख लोगों के मतदान अधिकार का क्या होगा, इस पर चुनाव आयोग को फैसला लेना होगा.

-लिस्ट से बाहर हुए लोगों को अभी भी सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाली छूट और सुविधाएं मिलती रहेंगी. यह स्थिति फिलहाल पहले जैसी ही रहेगी.

-नाम शामिल कराने वाले को अपनी शिकायत के जरिए यह साबित करना होगा कि उसका जन्म 21 मार्च, 1971 से पहले असम में हुआ था. लिस्ट में उन्हीं लोगों को शामिल किया गया है जिनके पूर्वज 1951 में हुई पहली जनगणना में शामिल रहे हों, या फिर जिनका नाम 24 मार्च, 1971 को असम की निर्वाचक नामावली में शामिल रहा हो.

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-एनआरसी की व्यवस्था कोई पहली बार शुरू नहीं की गई है. एनआरसी के जरिए किसी भी राज्य में वैध तरीके से रह रहे नागरिकों का रिकॉर्ड रखा जाता है. 1951 में पहली बार एनआरसी को तैयार किया गया था और इस रजिस्टर में शामिल डेटा में हर किसी का नाम, उम्र, पिता या पति का नाम, घर और जरूरी आवश्यक वस्तुओं की जानकारी का ब्योरा होता था. इन रजिस्टरों को पहले डिप्टी कमिश्नर सब-डिविजनल ऑफिसर के दफ्तरों में रखा जाता था, बाद में इसे पुलिस विभाग के पास भेज दिया गया.

अधर में जिंदगी

अंतिम एनआरसी कब तक जारी होगी और पूरा मामला कब तक चलेगा इस संबंध में अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता है, इस पर सुप्रीम कोर्ट को फैसला लेना होगा. सवाल यह है कि इन 40 लाख लोगों में जिन लोगों की नागरिकता चली जाएगी उनका क्या होगा. सरकार उनके साथ क्या करेगी. क्या सरकार उन्हें देश से बाहर जाने को कहेगी.

भारत अगर बांग्लादेश पर इस बात का दबाव बनाता है कि उन्हें अपने यहां बुलाए तो यह आसान नहीं होगा क्योंकि बांग्लादेश किसी भी सूरत में उन्हें स्वीकार नहीं करेगा. इस मुद्दे पर दोनों देशों में तनातनी बनती है तो असर रिश्तों पर भी पड़ेगा, जो वर्तमान में केंद्र सरकार नहीं चाहेगी. फिलहाल भविष्य के बारे में कुछ भी कह पाना अभी आसान नहीं है.

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