
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के अंतिम प्रकाशन से संबंधित मुद्दों की समीक्षा की. इस बैठक के बाद गृह मंत्रालय ने कहा कि एनआरसी में नाम न आने वालों को मौका दिया जाएगा. समीक्षा बैठक में असम के मुख्यमंत्री, केंद्रीय गृह सचिव, असम के मुख्य सचिव समेत कई अधिकारी मौजूद रहे.
बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त तक असम में नेशनल सिटिजन रजिस्टर (एनआरसी) का काम पूरा करने का आदेश दिया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने असम एनआरसी के समन्वयक प्रतीक हजेला से दो टूक कहा कि वह आलोचनाओं की परवाह किए बगैर यह काम पूरा करें. क्योंकि एनआरसी पर तो लोग बोलते ही रहेंगे.
पिछले साल जारी एनआरसी ड्राफ्ट में 40 लाख लोग बाहर हुए थे. ये वे लोग थे, जो उस वक्त अपनी नागरिकता से जुड़े सबूत नहीं पेश कर सके थे. उन्हें बाद में एनआरसी लिस्ट में नाम शामिल करने के लिए दस्तावेज पेश करने का मौका मिल चुका है. सभी की निगाहें अब अंतिम रूप से प्रकाशित होने जा रहे नेशनल सिटिजन रजिस्टर के आंकड़ों पर टिकी हैं.
सवाल है कि क्या सभी 40 लाख लोग बाहर होंगे या फिर दस्तावेजों के परीक्षण के बाद तमाम लोगों को भारतीय नागरिक माना जाएगा. बांग्लादेशी घुसपैठियों के सवाल पर गृह मंत्री चुनावी रैलियों में कह चुके हैं कि जो नागरिकता साबित नहीं कर पाएंगे, उन्हें वापस भेजा जाएगा.
बताया जा रहा है कि धारा 370 के बाद अब एनआरसी की अंतिम सूची के प्रकाशन के बाद हंगामा मचना तय है. क्योंकि बड़ी संख्या में लोग दस्तावेजों के अभाव में बाहर होने वाले हैं. सूत्र बता रहे हैं कि अगर घुसपैठियों को तुरंत बाहर नहीं किया गया तो तब तक यहां मिलने वाले उनके सभी अधिकारी छीन लिए जाएंगे.