
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में कश्मीर मुद्दा सुलझने की कगार पर था, लेकिन लेकिन बाद की सरकारों ने वाजपेयी के प्रयासों को आगे नहीं बढ़ाया. भागवत का यह बयान ऐसे समय आया है, जब सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि इस मुद्दे का राजनीतिक हल ही संभव है.
भागवत ने रविवार को आगरा में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘कश्मीरी लोग पाकिस्तान के साथ नहीं रहना चाहते. हमें कश्मीर में लोगों के बीच राष्ट्रीयता की भावना विकसित करनी चाहिए.’ इस मौके पर उन्होंने वाजपेयी के प्रयासों को याद करते हुए कहा, 'वाजपेयी कश्मीर मुद्दे का समाधान करने के करीब पहुंच गए थे, लेकिन बाद की सरकारों ने उनके प्रयासों को आगे नहीं बढ़ाया.’ शहर के करीब 2000 युवा दंपतियों को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने कश्मीर, गोरक्षा, मिशनरी स्कूल, समान नागरिक संहिता तथा कई अन्य मुद्दों पर कई सवालों के जवाब दिए.
'कानूनी दायरे में हो गोरक्षा का काम'
गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि गोरक्षा का काम कानूनी दायरे में होना चाहिए. उन्होंने युवाओं को संस्कार दिए जाने की पैरवी करते हुए कहा, ‘पश्चिमी प्रभाव समाज को प्रभावित कर रहे हैं. हमें अपने पूर्वजों द्वारा दिए गए संस्कारों और मूल्यों का अनुसरण करते हुए आगे बढ़ना होगा. अगर राष्ट्र को विश्वास के साथ आगे बढ़ना है तो हमें अपने युवाओं को संस्कार सिखाने होंगे.'
'सभ्यताएं बदलती हैं, संस्कृतियां नहीं'
भागवत ने शिवाजी का उल्लेख करते हुए कहा कि मराठा योद्धा ने मूल्यों के लिए खड़े रहे अपने परिवार से शक्ति और प्रेरणा ली थी. उन्होंने कहा कि समय के साथ सभ्यताएं बदलती हैं, संस्कृतियां नहीं. बच्चों में मूल्यों को रोपित करना परिवार का दायित्व होता है, जिसे औरों के साथ जीना सीखना चाहिए. भागवत चार दिन की यात्रा पर शहर में हैं.