
राज्यों की शासन व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी हमेशा छोटे राज्यों के हिमायती थे. उनका मानना था कि बड़े राज्यों में शासन प्रशासन कि पहुंच सुदूर इलाकों तक नहीं होती. जिस वजह से उन जगहों का विकास सही तरीके से नहीं हो पाता. यह अटल जी की सोच का ही परिणाम था कि देश में 1999 -2000 के दौरान तीन नए राज्यों के गठन की मंजूरी दी गई.
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उत्तराखंड, झारखण्ड और छत्तीसगढ़ के निर्माता अटल जी
अटल बिहारी बाजपेयी के कार्यकाल के दौरान देश में तीन राज्यों का गठन किया गया था. जिनमे उत्तरप्रदेश से उत्तराखंड, मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ और बिहार से झारखण्ड का निर्माण किया गया. हालांकि इन राज्यों की मांग वहां की आम जनता के द्वारा काफी लम्बे अरसे से की जा रही थी. और इन जगहों पर हिंसक प्रदर्शन भी हुए थे. बावजूद इसके उस समय केंद्र पर काबिज दलों ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया. लेकिन अटल बिहारी बाजपेयी ने प्रधानमंत्री का पद संभालने के साथ ही लम्बे समय से अटके पड़े इस मुद्दे पर कदम उठाते हुए इसकी मंजूरी दे दी थी.
बिना किसी अड़चन के पूरा हुआ बंटवारा
यह अटल जी की शख्सियत का ही कमाल था कि तीन-तीन राज्यों के बंटवारे के दौरान किसी तरह का कोई बवाल सामने नहीं आया. वहीं गठन के बाद नए बने राज्यों और जिन राज्यों से कटकर इनका निर्माण किया गया उनके बीच परिसंपत्तियों का बंटवारा भी शांतिपूर्ण तरीके से हुआ. वहीं हाल के दिनों में आंध्र प्रदेश से अलग कर तेलंगाना राज्य बनाया गया जिसे लेकर असंतोष आज तक कायम है.