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पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने के आरोपी को जमानत

अररिया लोकसभा चुनाव के बाद आरजेडी के उम्मीदवार सरफराज आलम की जीत के जश्न में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे वाले वीडियो वायरल हुए थे. लेकिन अदालत ने इस मामले में अविद को जमानत दे दी है, बताया गया कि साक्ष्य के अभाव में उसे जमानत मिली.

अविद अविद
अजीत तिवारी/सुजीत झा
  • पटना,
  • 03 जून 2018,
  • अपडेटेड 7:33 PM IST

अररिया लोकसभा उपचुनाव की जीत के जश्न में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे का वीडियो वायरल होने के मामले में एक आरोपी को जमानत मिल गई है. आरोपी अविद राजा को 65 दिनों तक जेल में रहने के बाद अब जमानत मिली है. अभी इस मामले में दो आरोपी जेल में हैं. बता दें कि कुल 3 आरोपियों को पुलिस ने इस मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा था.

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अररिया लोकसभा चुनाव के बाद आरजेडी के उम्मीदवार सरफराज आलम की जीत के जश्न में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे वाले वीडियो वायरल हुए थे. लेकिन अदालत ने इस मामले में अविद को जमानत दे दी है, बताया गया कि साक्ष्य के अभाव में उसे जमानत मिली.

जेल से जमानत पर छूटने के बाद अविद ने बताया कि उसे साजिश के तहत फंसाया गया था. 65 दिन जेल में उसने जलालत भरी जिन्दगी जी. कैदी उससे नफरत करते थे और आतंकवादी कह कर बुलाते थे लेकिन उसका कहना है कि वो आतंकवादी नहीं, देश भक्त है. उस दौरान उसे गहरी मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी. कुल 65 दिनों की उसकी कहानी सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं. इन 65 दिनों में जहां अविद ने जेल में खून के घूंट पीकर समय बिताया, साथ ही उसे मानसिक प्रताड़ना से भी गुजरना पड़ा.

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जब जेल में कैदी अविद को आतंकवादी कह कर पुकारते थे तो उसकी मनोदशा बिगड़ जाती थी. वहीं, अविद के परिवार को भी सामाजिक जलालत का सामना करना पड़ा. 31 मार्च 18 को अविद ने अररिया न्यायालय में आत्मसमर्पण किया था और 65 दिनों के बाद पुलिस द्वारा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए जाने के बाद अदालत ने जमानत दे दी.

अविद ने बताया, 'मैं न्यायालय का शुक्रगुजार हूं. पहली बार जेल गया था, मैं बेकसूर था. जेल में बंद दो साथी भी जल्दी निकल आएंगे. मुझे नेवी में जाने की इच्छा थी लेकिन अब इरादा बदल गया है.'

अविद की मां अशीम प्रवीण उर्फ लवली नवाब ने बताया, 'मेरा बेटा हिंदुस्तानी है. हमने अपने बच्चों को ऐसे संस्कार नहीं दिए. 65 दिनों का समय पहाड़ सा रहा. हमने मुश्किल से 65 दिन बिताए. बस ऊपर वाले पर भरोसा था, न्याय भी मिला. समाज में जिसको जो बोलना था बोले.'

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