
38वें दिन सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने शिड्यूलिंग को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि कोर्ट ने मेरे पक्ष के जवाब के लिए समय तय नहीं किया था. धवन और वैद्यनाथन दोनों ने लिखित दलीलें कोर्ट को दीं. धवन ने गुम्बद को लेकर अपने तर्क रखे. उन्होंने कहा कि गुम्बद के नीचे राम जन्म होने, श्रद्धालुओं के वहीं फूल-प्रसाद चढ़ाने का कोई भी दावा सिद्ध नहीं किया गया.
यहां गुम्बद के नीचे तो ट्रेसपासिंग कर लोग घुस आए थे. जब वहां पूजा चल रही थी तो अंदर घुसने का मतलब क्या है? इसका मतलब पूजा बाहर ही हो रही थी. कभी भी मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई. वहां लगातार नमाज़ होती रही थी. धवन ने कहा कि किसी ने भी आजतक ये नहीं माना कि हिंदुओं का आंतरिक अहाते पर कब्जा था. अगर बेंच मोल्डिंग ऑफ रिलीफ के तहत किसी एक पक्ष को मालिकाना हक देकर दूसरे को विकल्प देती है तो मुस्लिम पक्षकारों का ही दावा बनता है.
धवन की लिमिटेशन पर दलीलें
धवन ने कहा कि तीन पहलू टाइटल का सवाल बंटवारा ही गलत था. इस्लामिक कानून और कुरान बहुत पेचीदा है. हिंदू पक्षकार इसके एक पक्ष के आधार पर हमारी वक्फ की गई मस्जिद को खारिज नहीं कर सकते.
दूसरा लिमिटेशन और तीसरा एडवर्स पजेशन को लेकर है. धवन ने कहा कि हिंदू पक्ष के पास कोई मालिकाना हक का दस्तावेज नहीं है और ना ही था. यह वक्फ कि संपत्ति अंग्रेजों के समय से है और हिंदुओं ने जबरन अवैध कब्जा किया.
राजीव धवन ने दलील दी कि हमने 6 दिसंबर 1992 को ढांचा गिराए जाने के बाद अपनी मांग बदली और हमारी यही मांग है कि हमें 5 दिसंबर 1992 की स्थिति में जिस तरह का ढांचा था उसी स्थिति में हमें मस्जिद सौंपी जाए. हिंदुओं कि ओर से कई बार अतिक्रमण किया गया. इस दौरान राज्य सरकार कि ओर से मुस्लिमों के अधिकार कि रक्षा का निर्देश भी जारी हुआ. यह साफ करता है कि मालिकाना हक मुस्लिमों का है.
राजीव धवन ने फैजाबाद कोर्ट के आदेशों के बारे में बताते हुए कहा कि दिसंबर 1949 की घटना के बाद अंतरिम आदेश सिर्फ स्टेटस को यानी यथास्थिति बनाए रखने का था, अंतरिम आदेश के तहत किसी को मालिकाना हक नहीं दिया जा सकता.
धवन ने कहा- सभी सवाल हमसें क्यों?
धवन ने कहा कि ताला खुलने के बाद भी हिंदुओं का वहां पर कब्जा नहीं रहा है. हिंदुओं के पास सिर्फ पूजा का अधिकार रहा है. इस पर जस्टिस बोबड़े ने पूछा आप ये कह रहे है कि हिंदू अंदर जाते थे और पूजा अर्चना करते रहे थे, लेकिन सवाल ये उठता है कि इससे आपके अधिकार को असर नहीं पड़ेगा? दअरसल, कोर्ट के कहने का मतलब था कि आपकी संपत्ति में कोई जाता है तो आपको मालिकाना हक को लेकर फर्क नहीं पड़ेगा?
इसी बीच जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने राजीव धवन से हिंदुओं के बाहरी अहाते पर कब्जे के बारे में पूछा, जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ ने कहा कि 1858 के बाद के दस्तावेजों से पता चलता है कि राम चबूतरे की स्थापना की गई थी, उनके पास अधिकार था.
जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ ने कहा अंग्रेजों ने रेलिंग इस लिए लगाई क्योंकि एक हिस्से में हिन्दू पूजा करते थे दूसरे हिस्से में मुस्लिम? इसपर राजीव धवन ने पीठ से कहा कि वैसे सारे सवाल मुस्लिम पक्षकारों से ही पूछे जा रहे हैं, हिंदू पक्ष से सवाल पूछे ही नहीं गए, लेकिन कोई बात नहीं मैं पीठ के सभी सवालों के यथासम्भव जवाब दूंगा.
इस पर रामलला ने वकील सीएस वैधनाथन ने कहा कि राजीव धवन का ये सवाल अवांछनीय है. हालांकि पीठ ने इस पर कुछ नहीं कहा और मामले की सुनवाई आगे बढ़ी. राजीव धवन ने कहा कि उनका सूट लिमीटेशन के दायरे में है, मुस्लिम पक्ष ने लिमीटेशन की अवधि खत्म होने से चार दिन पहले दाखिल किया था. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा 23 दिसंबर 1949 में के बाद वहां नमाज नहीं हुई, लेकिन पूजा होती रही?
नमाज नहीं हुई, लेकिन पूजा होती रही?
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा 23 दिसंबर 1949 में के बाद वहां नमाज नहीं हुई, लेकिन पूजा होती रही? इस पर धवन ने कहा मस्जिद में अगर किसी कारण से नमाज नहीं हो सकी तो इसका मतलब ये नहीं कि मस्जिद का अस्तित्व खत्म हो गया. राम जन्मभूमि न्यास का गठन इसलिए किया गया ताकि मस्जिद को गिराया जा सके.
राजीव धवन ने कहा हिंदू पक्ष के पास इस बाबत कोई सबूत नहीं की भगवान राम का जन्म आंतरिक अहाते में हुआ था. इस बात के भी कोई सबूत नहीं की आंतरिक अहाते में पूजा होती थी. राजीव धवन ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले में जस्टिस खान और जस्टिस शर्मा की राय एक दूसरे अलग थी.
जस्टिस खान ने कहा था कि मस्जिद बनाने के लिए किसी स्ट्रक्चर को ध्वस्त नहीं किया गया था, जबकि जस्टिस शर्मा की राय इससे अलग थी. धवन ने कहा जिलानी ने सही कहा था कि 1885 से पहले के किसी भी दस्तावेज को नहीं स्वीकार किया जाना चाहिए.
1885 से पहले के जो दस्तावेज हिंदू पक्ष के पास है वो सिर्फ विदेशी यात्रियों की किताब और स्कंद पुराण और दूसरी किताबे हैं. राजीव धवन ने कहा कि मस्जिद को भले ही ध्वस्त कर दिया गया हो, लेकिन मस्जिद हमेशा मस्जिद ही रहती है. अयोध्या में ध्वस्त या गिराई गई इमारत आज भी मस्जिद है.
राजीव धवन ने कहा कि औरंगजेब बेहद लिबरल राजा था. मुहम्मद गोरी सहित दूसरे लोग जिन्होंने भारत में युद्ध किया, क्या उन्होंने मस्जिदों का निर्माण किया? - एक नई तरह का इतिहास लिखने की कोशिश न कि जाए. अगर बाबर के काम की समीक्षा होगी तो अशोक की भी करनी होगी.
धवन बोले- हिंदू पक्ष के बेहद सीमित जानकारी है
राजीव धवन ने कहा कि इस्लामिक कानून बेहद कॉम्प्लेक्स है? इसको लेकर हिंदू पक्ष के बेहद सीमित जानकारी है. इस पर पीएन मिश्रा ने राजीव धवन पर कहा कि आप ये कैसे कह सकते हैं कि हमको इस्लाम पर कम जानकारी है? बहस कर लीजिए. पीएन मिश्रा ने कहा कि आप ये बताने वाले कौन है कि हम क्या बहस करें क्या नहीं? कोर्ट ने हमें बहस करने की इजाजत दी और हमनें की. इस बीच CJI ने मुस्कुराते हुए कहा राजीव धवन के पास असीम ज्ञान है.
राजीव धवन ने कहा कि मालिकाना हक को लेकर हिंदू पक्ष के पास कोई सबूत नहीं है. राजीव धवन ने कहा कि क्या कोर्ट सभी उन 500 मस्जिदों की खुदाई कराएगा, जिसको लेकर ये कहा जाता है कि ये हिंदू मंदिर पर बने है ? राजीव धवन ने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर मस्जिद के नीचे कुछ अंश किसी दूसरी धर्म के मिले हैं तो भी क्या 450 साल पुरानी मस्जिद अवैध हो जाएगी?
सुप्रीम कोर्ट ने जफर फारूकी को मुहैया कराई सुरक्षा
सोमवार को सुनवाई के अंत में CJI जस्टिस रंजन गोगोई ने एक पत्र पढ़ते हुए कहा सुन्नी वक्फ बोर्ड यूपी के चेयरमैन ने मध्यस्थता कमिटी के सदस्य श्री राम पंचू को पत्र भेजा, पत्र में जान का खतरा बताया. इस पर CJI जस्टिस रंजन गोगोई ने उत्तर प्रदेश सरकार को कहा कि जफर अहमद फारूकी को तुरंत सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया. मुस्लिम पक्ष की तरफ से कहा गया इस मामले की सुनवाई गुरुवार तक पूरी कर ली जाएगी. इस पर CJI जस्टिस रंजन गोगोई ने मुस्कुराते हुए कहा कि हम सुनवाई 'बुधवार' को भी पूरी कर सकते हैं. ये कहते हुए पांच सदस्यीय संविधान पीठ उठ गई.