Advertisement

अयोध्या केस: राजीव धवन बोले- एक बार मस्जिद हो गई तो हमेशा मस्जिद ही रहेगी

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस सुनवाई के 29वें दिन मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि पौने पांच सौ साल पहले बाबरी मस्जिद बनाई थी और 22 दिसंबर 1949 तक यहां लगातार नमाज हुई. तब तक वहां अंदर कोई मूर्ति नहीं थी. एक बार मस्जिद हो गई तो हमेशा मस्जिद ही रहेगी.

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस में आज 29वें दिन की सुनवाई चल रही है सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस में आज 29वें दिन की सुनवाई चल रही है
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 23 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 5:14 PM IST

  • मुस्लिम पक्ष के वकील धवन ने कहा, 1528 में बनाई गई मस्जिद
  • मस्जिद में 1528 से 22 दिसंबर 1949 तक लगातार नमाज पढ़ी गई

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस मामले में 29वें दिन सुनवाई चल रही है. कोर्ट में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि पौने पांच सौ साल पहले 1528 में मस्जिद बनाई गई थी और 22 दिसंबर 1949 तक लगातार नमाज हुई. तब तक वहां अंदर कोई मूर्ति नहीं थी. एक बार मस्जिद हो गई तो हमेशा मस्जिद ही रहेगी.

Advertisement

वकील राजीव धवन ने हाइकोर्ट के जस्टिस खान और मस्जिद अग्रवाल के फैसलों के अंश के हवाले से मुस्लिम पक्ष के कब्जे की बात कही. उन्होंने कहा कि बाहरी अहाते पर ही उनका अधिकार था. लगातार और खासतौर पर कब्जे का कोई प्रूफ नहीं है, जबकि जस्टिस शर्मा ने हिंदू पक्षकारों के अधिकार और पूजा की बात स्वीकारी है. हालांकि दोनों पक्षकारों के पास 1885 से पुराने राजस्व रिकॉर्ड भी नहीं हैं.

औरंगजेब ने मंदिरों के लिए दान किया

राजीव धवन ने अपनी दलील में यह भी कहा कि औरंगजेब ने कई मंदिरों के लिए अनुदान भी दिए थे. नाथद्वारा मंदिर के बारे में भी यही मान्यता है. इसके मौखिक और लिखित प्रमाण भी हैं. बड़ी तादाद में लोग अगर किसी मंदिर में दर्शन पूजन करते हैं तो ये कोई आधार नहीं है उसके ज्यूरिस्टिक पर्सन होने का.

Advertisement

राजीव धवन ने हाई कोर्ट के फैसले की खामी यह है कि एक ही जगह के दो ज्यूरिस्टिक पर्सन नहीं हो सकते. ठीक वैसे ही जैसे गुरुद्वारा और गुरुग्रंथ साहिब दो ज्यूरिस्टिक पर्सन नहीं हो सकते. सिर्फ गुरुग्रंथ साहिब जब गुरुद्वारा में होते हैं तभी वो गुरुद्वारा बनता है.

कोर्ट ने मूर्ति को ज्यूरिस्टिक पर्सन नहीं माना

उन्होंने आगे कहा कि ठाकुर गोकुलनाथ जी वल्लभाचार्य ने 7 मूर्तियां अपने सातों पोतों को दी थी. जो गोकुल में है. उस पर ही विवाद हुआ. तब भी कोर्ट ने मूर्ति को ज्यूरिस्टिक पर्सन नहीं माना था.

धवन की इस दलील पर जस्टिस बोबड़े ने टोकते हुए पूछा कि बिना मूर्ति के भी तो कोई देवता हो सकता है जैसे आकाश तत्व, चिदंबरम नटराज. इस पर धवन ने कहा कि लेकिन ऐसी जगह पर कुछ न कुछ निर्माण, ढांचा या आकार जरूर होना चाहिए जिससे ये विश्वास हो कि ये ज्यूरिस्टिक पर्सन है. चिदंबरम इसका अपवाद हो सकता है.

जस्टिस बोबड़े ने कहा कि चिदंबरम तो विशिष्ट मामला था. इस पर राजीव धवन ने कहा कि गूगल के मुताबिक ये मंदिर चोल शासनकाल में 10वीं शताब्दी में बनाया गया था.

पीएस नरसिम्हा ने बताया कि चिदंबरम में शिव के पांच मंदिर बनाए गए. पांच तत्व के प्रतीक यानी पृथ्वी, जल, आकाश, अग्नि और वायु. चिदंबरम आकाश के प्रतीक हैं.

Advertisement

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement