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अयोध्या केस: SC में मुस्लिम पक्ष ने माना- राम चबूतरा ही जन्मस्थान

सुप्रीम कोर्ट में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर 30वें (24 सितंबर) दिन की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने माना कि राम चबूतरा ही जन्मस्थान है क्योंकि हिन्दू दावेदार भी सालों से इसी पर विश्वास करते रहे हैं.

30वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष ने माना कि राम चबूतरा ही जन्मस्थान है 30वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष ने माना कि राम चबूतरा ही जन्मस्थान है
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 10:07 AM IST

  • जफरयाब जिलानी ने कहा- कोर्ट ने माना था कि राम चबूतरा जन्मस्थान है
  • जफरयाब जिलानी ने कहा- नमाज के लिखित नहीं लेकिन जुबानी सबूत हैं
  • 30 वें दिन बहस की शुरुआत मुस्लिम पक्ष की तरफ से राजीव धवन ने की

सुप्रीम कोर्ट में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर 30वें (24 सितंबर) दिन की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने माना कि राम चबूतरा ही जन्मस्थान है क्योंकि हिन्दू दावेदार भी सालों से इसी पर विश्वास करते रहे हैं. मुस्लिम पक्ष ने कहा कि इस मामले में 1885 में डिस्ट्रिक्ट जज का आदेश है कि हिंदू राम चबूतरे को जनस्थान मानते थे. मुस्लिम पक्षकारों ने कहा कि जब कोर्ट का आदेश है तो हम इससे अलग कैसे हो सकते है? अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में 30 वें दिन बहस की शुरुआत मुस्लिम पक्ष की तरफ से राजीव धवन ने की.

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राजीव धवन ने अयोध्या विवाद से जुड़ी कई पुरानी याचिकाओं का भी जिक्र किया. इनके जरिए उन्होंने यह साबित करने की कोशिश की कि मस्जिद पर 1949 तक लगातार मुस्लिम पक्ष का कब्जा रहा था. राजीव धवन ने कहा, "मुतावल्ली ने अर्जी दाखिल की थी जिसपर सरकार ने आदेश दिया था. अगर मस्जिद पर मुसलमानों का कब्जा नहीं होता तो वह मुतावल्ली अर्जी क्यों लगाता? और अदालत फैसला क्यों देती? इससे साबित होता है कि मस्जिद पर मुस्लिम कब्जा था."

धवन ने हिन्दू पक्ष के एक गवाह के बयान का भी हवाला दिया और कहा कि भगवान राम की मूर्ति गर्भगृह में नही थी. गर्भ गृह के अंदर किसी भी भगवान की तस्वीर नहीं थी लेकिन तब भी जो लोग पूजा करने आते वह रेलिंग की तरफ जा कर गर्भ गृह की तरफ जाते थे. राजीव धवन ने कहा कि गोपाल सिंह विशारद ने रामजन्मभूमि पर पूजा के व्यक्तिगत अधिकार का दावा करते हुए मुकदमा दायर किया था और उनकी मौत के बाद उनकी याचिका का कोई औचित्य नहीं रहा.

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राजीव धवन ने हिन्दू पक्ष के एक गवाह की गवाही पढ़ते हुए कहा कि पूजा सिर्फ राम चबूतरे पर होती थी और लोग राम चबूतरे के पास लगी रेलिंग की तरफ भी जाते थे, मूर्ति गर्भ गृह में कैसे गई इस बारे में उसको जानकारी नहीं है. 1949 में पता चला कि गर्भ गृह में भगवान का अवतरण हुआ है, लेकिन उससे पहले वहां मूर्ति नहीं थी. पौराणिक विश्वास के अनुसार पूरे अयोध्या को भगवान राम का जन्मस्थान माना जाता रहा है लेकिन इसके बारे में कोई एक खास जगह नहीं बताई गई है. राजीव धवन ने कई गवाहों के बयान का हवाला देते हुए ये साबित करने की कोशिश की कि कि मुसलमान उस जगह पर अपना दावा करता रहा है.

सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से जफरयाब जिलानी ने की बहस

दोपहर बाद धवन की जगह आए जफरयाब जिलानी ने कहा कि जन्मस्थल पर रामजन्म का विश्वास तो है पर सबूत नहीं. उन्होंने रामचरित मानस और वाल्मीकि रामायण के आधार पर अपनी दलीले दीं. उन्होंने कहा कि रामचरित मानस और रामायण में कहीं विशिष्ट तौर पर राम जन्मस्थान का कोई जिक्र नहीं.

दूसरा ये कि कोई सबूत नहीं कि 1949 से पहले मध्य गुंबद के नीचे राम का जन्म हुआ था क्योंकि 1949 से पहले वहां पूजा का कोई अस्तित्व या सबूत नहीं मिलता. जिलानी की इस दलील पर जस्टिस बोबड़े ने पूछा कि आप ये सबूत भी देंगे कि 1949 से पहले वहां नियमित नमाज होती थी? इस पर जिलानी बोले कि इसके लिखित नहीं जुबानी सबूत हैं.

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जस्टिस बोबड़े ने जब जिलानी से पूछा कि क्या आप मानते है कि राम चबूतरा जन्मस्थान है? तो जफरयाब जिलानी ने कहा कि कोर्ट का आदेश है इस मामले में, जिसमें कोर्ट ने माना था कि राम चबूतरा जन्मस्थान है. हिंदू लोगों की मान्यता है. हम उससे अलग कैसे जा सकते हैं. अयोध्या राम जमभूमि मामले में सुनवाई 31वें दिन यानी बुधवार को भी जारी रहेगी. मुस्लिम पक्ष की तरफ से जफरयाब जिलानी पक्ष रखेंगे. उसके बाद पुरातात्विक साक्ष्य पर मीनाक्षी अरोड़ा पक्ष रखेंगी.

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