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अयोध्या मामले में हिंदू-मुस्लिम पक्षकारों की ये हैं दलीलें

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में 14 अपील दायर हैं. इनमें 8 मुस्लिम पक्षकारों की ओर से और 6 हिंदू पक्षकारों की तरफ से. जबकि दोनों समुदायों की ओर से 6-6 पक्षकार हैं.

श्री श्री रविशंकर और इकबाल अंसारी श्री श्री रविशंकर और इकबाल अंसारी
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 05 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 10:27 AM IST

अयोध्या विवाद मामले में एक लंबे समय के बाद वो वक्त आ गया है, जहां से फैसले की उम्मीद जागी है. सुप्रीम कोर्ट में आज से अयोध्या मामले की निर्णायक सुनाई शुरू हो रही है. हिंदू-मुस्लिम दोनों पक्षकार अपनी-अपनी बात सुप्रीम कोर्ट में रखेंगे.

बता दें कि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में 14 अपील दायर हैं. इनमें 8 मुस्लिम पक्षकारों की ओर से और 6 हिंदू पक्षकारों की तरफ से. जबकि दोनों समुदायों की ओर से 6-6 पक्षकार हैं. मुस्लिम पक्षकारों की ओर से दायर अपील सभी हिंदू पक्षकारों के खिलाफ है, तो वहीं हिंदू पक्षकारों की अपील ज्यादातर हिंदू पक्षकारों के खिलाफ हैं.

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हिंदू पक्षकारों की दलील

श्री रामलला विराजमान हैं. हिंदू महासभा आदि ने दलील दी है कि हाईकोर्ट में रारलला विराजमान की संपत्ति का मालिक बताया गया है.

वहां पर हिंदू मंदिर था और उसे तोड़कर विवादित ढांचा बनाया गया था. ऐसे में हाईकोर्ट एक तिहाई जमीन मुसलमानों के नहीं दे सकता है.

यहां पर न जाने कब से हिंदू पूजा-पाठ करते चले आ रहे हैं. तो फिर हाईकोर्ट उस जमीन का बंटवारा कैसे कर सकता है?

मुस्लिम पक्षकारों का तर्क

सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अन्य मुस्लिम पक्षकारों का कहना है कि बाबर के आदेश पर मीर बाकी ने अयोध्या में 1528 में 1500 वर्गगज जमीन पर मस्जिद बनवाई थी.

इसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता है, मस्जिद वक्फ की संपत्ति है और मुसलमान वहां नमाज पढ़ते रहे हैं.

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22 और 23 दिसंबर 1949 की रात हिंदूओं ने केंद्रीय गुबंद के नीचे मूर्तियां रख दीं और मुसलमानों को वहां से बेदखल कर दिया है.

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