
हलाला, तीन तलाक और बहुविवाह के खिलाफ आवाज उठाने वाली आला हजरत खानदान की पूर्व बहू निदा खान को बरेली के जनपद न्यायालय से बड़ी जीत मिली है. अदालत ने निदा खान दलील को स्वीकार करते हुए तीन तलाक को खारिज कर दिया है और उनके पति पर घरेलू हिंसा का मुकदमा चलाने के आदेश दिया है.
दरअसल तीन तलाक और हलाला पर अभी कानून नहीं बना है, सरकार इसी संसदीय सत्र में कानून बनाना चाहती है. अब बरेली की अदालत ने जो ये फैसला दिया है, उससे निदा खान की मुहिम को बड़ी ताकत मिली है.
बता दें, निदा की शादी आला हजरत खानदान के उस्मान रजा खां उर्फ अंजुम मियां के बेटे शीरान रजा खां से 16 जुलाई 2015 को शादी हुई थी, लेकिन बाद में पांच फरवरी 2016 को उनका तलाक हो गया, उसके बाद निदा ने अदालत का सहारा लिया है. यही नहीं, निदा अन्य तलाकशुदा महिलाओं के लिए भी आंदोलन कर रही हैं.
निदा का कहना है कि शादी के कुछ समय बाद ही दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाने लगा और मांग पूरी नहीं होने पर उन्हें 3 बार तलाक, तलाक, तलाक कहकर घर से मारपीट कर निकाल दिया गया. लेकिन निदा डरी नहीं और उसने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जहां से बड़ी जीत मिली है.
बरेली जनपद के इस कोर्ट में निदा के पति शीरान रजा खां के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस दायर किया था. जिसके बाद निदा के पति शीरान ने कोर्ट में ये कहा था कि उन्होंने निदा को तलाक दे दिया है इसलिए उन पर कोई केस नहीं बनता. लेकिन कोर्ट ने इस दलील को ठुकरा दिया.
वहीं सोमवार को बरेली के शहर इमाम मुफ्ती खुर्शीद आलम ने निदा खान के खिलाफ फतवा जारी कर दिया. उन्होंने दावा किया कि मुफ्ती अफजाल रजवी के दस्तखत से जारी फतवे में कहा गया है कि निदा अल्लाह और उसके बनाये हुए कानून की मुखालिफत कर रही हैं, लिहाजा उनका ‘हुक्का-पानी’ बन्द कर दिया गया है. निदा की मदद करने वाले और उससे मिलने-जुलने वाले मुसलमानों को भी इस्लाम से खारिज कर दिया जाएगा.
मुफ्ती आलम ने बताया कि फतवे के मुताबिक निदा अगर बीमार हो जाती है तो उसको दवा भी नहीं दी जाएगी. निदा की मौत पर जनाजे की नमाज पढ़ने पर भी रोक लगा दी गई है. इतना ही नहीं निदा की मृत्यु होने पर उसे कब्रिस्तान में दफनाने पर भी रोक लगा दी गयी है.
इस बीच, निदा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पलटवार किया और कहा कि फतवा जारी करने वाले पाकिस्तान चले जाएं. हिन्दुस्तान एक लोकतांत्रिक देश है. यहां दो कानून नहीं चलेंगे. किसी मुस्लिम को इस्लाम से खारिज करने की हैसियत किसी की नहीं है, सिर्फ अल्लाह ही गुनहगार और बेगुनाह का फैसला कर सकता है. निदा खान ने तीन तलाक, हलाला और बहुविवाह जैसी प्रथाओं के खिलाफ भी अभियान छेड़ रखा है.