
यह पहला मामला नहीं है जब मध्य प्रदेश के प्रमुख शहर में पुलिस ने कथित अपराधियों या आरोपियों को सार्वजनिक रूप से 'सजा' दी हो. एक ताजा वीडियो में इंदौर में पुलिस वाले सड़क के बीच में कुछ लोगों से उठक-बैठक करा रहे हैं और बीच-बीच में डंडों से पीट भी रहे हैं.
इंदौर के डीआईजी हरिनारायण चारी मिश्रा और मध्य प्रदेश के डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला ने वीडियो की जानकारी होने से इनकार कर दिया है. घटना के बारे में बताए जाने पर डीजीपी ने 'आज तक डॉट इन' से कहा है कि वे अपने अधिकारी से बात करेंगे.
पुलिस अच्छा काम कर रही- डीआईजी
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, डीआईजी हरिनारायण के आदेश पर ही पुलिस ऐसी कार्रवाई कर रही है. आज तक से बातचीत में डीआईजी ने आरोपियों को पीटने की जानकारी होने से इनकार किया, लेकिन यह जरूर कहा- 'उन्हें आरोपियों की सामूहिक गिरफ्तारी की जानकारी है. हमारी पुलिस अच्छा काम कर रही है. ये 'सामूहिक कार्रवाई' अभियान लगातार चल रही है.'
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पुलिस को उठक-बैठक नहीं कराना चाहिए. मीडिया में कार्रवाई को 'अपराधियों का जुलूस' बताया गया है. इससे जुड़े एक सवाल पर डीआईजी ने कहा कि वे इसे जुलूस की जगह पुलिस की सामूहिक कार्रवाई कहना अधिक पसंद करेंगे.
लगातार चल रही ऐसी कार्रवाई
डीआईजी ने खुद स्वीकार किया है कि ऐसी कार्रवाई करीब एक महीने से चलाई जा रही है. इसमें कई थानों की पुलिस एक साथ अपराधियों को पकड़ती है. इसके बाद आरोपियों को सड़क पर घुमाया जा सकता है और सजा देते दिखाया जाता है.
चूंकि भारतीय कानून में पुलिस को किसी भी आरोपी को सजा देने का अधिकार हासिल नहीं है. लेकिन सीरीज में हो रही इन घटनाओं और उच्च अधिकारियों की चुप्पी से राज्य की कानून व्यवस्था पर ये सवाल उठते हैं...
1. किन-किन मामलों में मध्य प्रदेश की पुलिस आरोपियों को सड़क पर खड़ा कर पीट सकती है?
2. क्या भीड़ को खुश करने अथवा लोकप्रिय होने के लिए पुलिस को ऐसी कार्रवाई करने की छूट दी गई है?
3. पुलिस का आरोपियों को सड़क पर पीटना या सजा देना, क्या एक गंभीर गैरकानूनी मामला है?
4. नेशनल टीवी चैनल पर वीडियो चलाए जाने के बावजूद शहर के जिम्मेदार अधिकारी के पास 'घटना की जानकारी नहीं है.' क्या उनके खिलाफ जांच होनी चाहिए?
5. चूंकि ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही हैं, ये क्यों न माना जाए कि सरकार और उच्च अधिकारी, ऐसी कार्रवाई का मौन समर्थन कर रहे हैं?
6. क्या मध्य प्रदेश 'इंडियन पीनल कोड' की जगह किसी और कानून से चलता है?
7. क्या भविष्य में सरकार कोई ऐसा कानून बनाने पर विचार कर रही है जिसमें पुलिस कुछ मामलों में खुद की सजा तय दे?
8. कुछ मामलों में खुद ही सजा देकर क्या मध्य प्रदेश पुलिस कोर्ट का समय बचाना चाहती है?
9. क्या डीजीपी को इसे गंभीर मामला मानते हुए तुरंत कार्रवाई का कम से कम आश्वासन नहीं देना चाहिए?
10. क्या अपराधियों को पीटते और उसे मौन समर्थन देते उच्च अधिकारी, 'कानून का जुलूस' निकालने में शरीक नहीं हो रहे हैं?