
हावड़ा के एक स्कूल में 'नबी दिवस' मनाने को लेकर विवाद के बाद क्षेत्र में कुछ दिन पहले तनाव की नौबत आ गई थी, वहीं अब पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य भर की सरकारी लाइब्रेरियों में 'नबी दिवस' मनाना अनिवार्य कर दिया है.
डायरेक्टरेट ऑफ लाइब्रेरी सर्विसेज की ओर से जारी आदेश में राज्य की 2000 से ज्यादा लाइब्रेरियों को साल भर में किए जाने वाले कार्यक्रमों के हिस्से के तौर पर नबी दिवस मनाने के लिए भी कहा गया है.
11 जनवरी 2017 की तारीख वाले ऑर्डर मीमो नंबर 74/1(43)/LS OM/Lib-31/1992 में सरकार ने 51 कार्यक्रमों का उल्लेख किया है. इनमें हजरत मुहम्मद के जन्मदिन पर राज्य संचालित लाइब्रेरियों में फातिहा दवाज दहुम (या ईद उद मिलाद उन नबी) को भी मनाने के लिए कहा गया है. इस साल 2 दिसंबर को इसे मनाया जाएगा. राज्य लाइब्रेरी विभाग की ओर से साल में मनाए जाने प्रत्येक कार्यक्रम के लिए हर लाइब्रेरी को 1000-1000 रुपए का अनुदान मिलेगा.
आदेश में साफ किया गया है कि लाइब्रेरी इस अनुदान के अलावा कार्यक्रम के आयोजन के लिए अपने स्तर पर स्थानीय संसाधनों की मदद लेना चाहें तो ले सकती हैं.
बता दें कि इस साल जनवरी में हावड़ा के तेहाट्टा में स्थित सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल को साम्प्रदायिक तनाव के बाद अनिश्चितकालीन के लिए बंद करना पड़ा था. ऐसी स्थिति स्कूल परिसर में छात्रों के एक वर्ग की ओर से नबी दिवस को मनाने के लिए अनुमति दिए जाने की मांग करने के बाद आई थी. स्कूल प्रबंधन ने इस तरह की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. स्कूल प्रबंधन ने पुलिस को भेजी चिट्ठी में आरोप लगाया था कि बाहर के 'इस्लामिक कट्टरपंथियों' से प्रभावित कुछ छात्रों ने बीते साल 13 दिसंबर को अनुमति नहीं दिए जाने के बावजूद स्कूल परिसर में नबी दिवस मनाने की कोशिश की थी.
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इंडिया टुडे से बातचीत में स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा था कि जो लोग नबी दिवस मनाने की अनुमति देने की मांग कर रहे थे, उन्होंने ये सवाल उठाया था कि स्कूल प्रबंधन हर साल स्कूल परिसर में सरस्वती पूजा के आयोजन की अनुमति क्यों देता है.
बंगाल में 2017 के लिए सार्वजनिक छुट्टियों को लेकर जहां तक राज्य सरकार की अधिसूचना का सवाल है तो उसमें सरस्वती पूजा को आधिकारिक अवकाश घोषित किया गया है. लेकिन नबी दिवस इसमें शामिल नहीं है. भारतीय जनता पार्टी समेत दक्षिणपंथी संगठनों ने राज्य सरकार के फैसले की आलोचना की है. इनका कहना है कि राज्य की लाइब्रेरियों में नबी दिवस मनाए जाने का पहले कोई उदाहरण नहीं मिलता, इसलिए अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की दिशा में उठाया गया एक और कदम है.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, 'बंगाल अगला बांग्लादेश बनने की राह पर है. इसलिए नबी दिवस और इफ्तार पार्टियों का आयोजन तो होगा लेकिन इस बात के आसार हैं कि दुर्गा पूजा और सरस्वती पूजा के आयोजन बंद हो जाएं. ये हमारी बड़ी चिंता है. ये इसी खुली तुष्टिकरण राजनीति का ही नतीजा है कि बंगाल में साम्प्रदायिक तनाव बढ़ रहा है.'
हालांकि पश्चिम बंगाल के जन शिक्षा और लाइब्रेरी सेवा मंत्री सिद्दीकुल्लाह चौधरी इस तरह की आलोचनाओं को बेतुका बताते हुए खारिज करते हैं. सिद्दीकुल्लाह कहते हैं, अगर नबी दिवस मनाया जाता है तो क्या दिक्कत है? सिद्दीकुल्लाह के मुताबिक विभाग ने रबीन्द्रनाथ टैगोर और सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिवसों समेत ऐसे कई दिनों पर कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए हैं.
सरकारी आदेश में जिन 51 कार्यक्रमों का उल्लेख है उसमें सरस्वती पूजा के मौके पर सांस्कृतिक आयोजन किया जाना भी शामिल है. इनके अलावा क्रिसमस, गुड फ्राइडे, बुद्ध पूर्णिमा, गुरुनानक देव का जन्मदिन, रक्षा बंधन, ईद उल फितर, ईद उल जुहा के साथ स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर भी राज्य लाइब्रेरियों में सरकारी आदेश के मुताबिक कार्यक्रम आयोजित होंगे.