Advertisement

शहीदों की चिताओं पर ये कैसा मेला- शहीद का दर्जा दिलाने के लिए परिजनों को करना पड़ रहा अनशन

 जिस देश में बच्चा-बच्चा यह गीत गाता हो 'शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले' वहां के अमर शहीदों के परिजनों को उन्हें आधिकारिक रूप से 'शहीद' घोषित कराने के लिए अनशन करना पड़ रहा है.

अनशन पर बैठे शहीदों के परिजन अनशन पर बैठे शहीदों के परिजन
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 23 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 1:23 PM IST

स्वतंत्रता संग्राम के हमारे वीर क्रांतिकारियों भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने 23 मार्च 1931 को देश की खातिर हंसते-हंसते फांसी का फंदा चूम लिया था. लेकिन उन्हें आज तक सरकार की तरफ से शहीद का दर्जा नहीं दिया गया है. इनके परिजनों ने तीनों को शहीद का दर्जा देने की मांग की है और इसके लिए उन्होंने 23 मार्च यानी शुक्रवार से ही दिल्ली में अनश्चितकालीन अनशन शुरू किया है.

Advertisement

तो जिस देश में बच्चा-बच्चा यह गीत गाता हो 'शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले' वहां के अमर शहीदों के परिजनों को उन्हें आधिकारिक रूप से 'शहीद' घोषित कराने के लिए अनशन करना पड़ रहा है.

साल 2013 में कांग्रेस सरकार के दौरान डाली गई एक आरटीआई में इस बात का खुलासा हुआ था कि केंद्र सरकार भगत सिंह को दस्‍तावेजों में शहीद नहीं मानती. तब से भगत सिंह के वंशज भी शहीद भगत सिंह ब्रिगेड के बैनर तले भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को सरकारी रेकॉर्ड में शहीद घोषित करवाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. मामला संसद में भी उठ चुका है. लेकिन अब तक सरकार ने इस बारे में कोई निर्णय नहीं लिया है. सितंबर 2016 में इसी मांग को लेकर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के वंशज जलियांवाला बाग से इंडिया गेट तक शहीद सम्‍मान जागृति यात्रा निकाल चुके हैं.

Advertisement

सुखदेव के परिजनों ने कहा, 'देश की आजादी को 70 साल हो गए हैं, लेकिन आज तक उन्हें शहीद का दर्जा नहीं दिया गया है.' गौरतलब है कि भगत सिंह और राजगुरु ने 1928 में लाहौर में एक ब्रिटिश जूनियर पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की गोली मारकर हत्या कर दी थी. असल में यह हत्या गलती से हुई क्योंकि वे एक ब्रिटिश पुलिस सुपरिन्टेंडेंट की हत्या करना चाहते थे. भारत के तत्कालीन वायसरॉय लॉर्ड इरविन ने इस मामले पर मुकदमे के लिए एक विशेष ट्राइब्यूनल का गठन किया, जिसने तीनों को फांसी की सजा सुनाई. तीनों को 23 मार्च 1931 को लाहौर सेंट्रल जेल के भीतर ही फांसी दे दी गई.

आजादी के बाद से ही लगातार इन तीनों क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा देने की मांग की जाती रही है. हालांकि दिसंबर, 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए ऐसी एक याचिका को खारिज कर दिया था कि 'वह इस बारे में ऐसा कोई निर्देश नहीं दे सकता.'

अब सुखदेव के परिवार ने इसकी मांग करते हुए दिल्ली में अनिश्चितकालीन अनशन करने की घोषणा की है. सुखदेव के एक रिश्तेदार ने कहा, 'हम दिल्ली जा रहे हैं और तब तक अनिश्चितकालीन अनशन करेंगे, जब तक तीनों क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा नहीं दे दिया जाता. इस अनशन में भगत सिंह के परिजन भी शामिल होंगे.'

Advertisement

गौरतलब है कि देश के शहीदों को समर्पित संस्था 'स्वाभि‍मान देश का'  इसी मांग को लेकर 23 मार्च को 3 बजे, दिल्ली के इंडिया गेट से राष्ट्रव्यापी शहीद स्वाभिमान यात्रा शुरू करने जा रहा है. 15 हज़ार किमी लंबी यह यात्रा संगठन के संस्थापक अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह बिधूड़ी के नेतृत्व में देश के सभी 29 राज्यों को कवर करते हुए 90 दिनों तक चलेगी. इस यात्रा का शुभारंभ थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत करेंगे. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement