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जहरीली शराब ने पहले भी ली है सैकड़ों लोगों की जान

सस्ते नशे के चक्कर में सिर्फ सेवन करने वाले की मौत नहीं होती, बल्कि उन लोगों पर भी मुसीबतों का पहाड़ टूटता है जो मरने वाले पर आश्रित होते हैं. देश में जहरीली शराब पिछले दशक में हजारों लोगों को अपना शिकार बना चुकी है लेकिन अवैध शराब का कारोबार बदस्तूर जारी है.

जहरीली शराब से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है जहरीली शराब से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 4:50 PM IST

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जहरीली शराब के सेवन से मौत का आंकड़ा 98 पहुंच गया है, जबकि कई लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है. प्रशासन के मुताबिक मरने वालों में ज्यादातर लोग सहारनपुर से पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में तेरवहीं के संस्कार में गए थे जहां उन्होंने शराब का सेवन किया. लगातार बढ़ रहे मौत के आंकड़ों से सरकार सकते में है और पूरे उत्तर प्रदेश में छापेमारी और गिरफ्तारी की कार्रवाई जारी है.

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देश में जहरीली शराब पिछले एक दशक में हजारों लोगों की जिंदगी तबाह कर चुकी है. जहरीली शराब का सिर्फ सेवन करने वाला ही नहीं मरता लेकिन वे भी मरते हैं जो इन पर आश्रित होते हैं. सस्ते नशे की लालच में गरीब परिवारों का घर लगातार अवैध शराब के सेवन से तबाह हो रहे हैं. इसके बावजूद न तो इस तरह की घटना पर रोक लगी और न ही जहरीली शराब का कारोबार कम हुआ. आइए देश में अब तक हुई जहरीली शराब से मौत की बड़ी त्रासदियों पर नजर डालते हैं.

मुंबई, 2015: मुंबई के उपनगरीय इलाके मलाड में जहरीली शराब पीने से 100 लोगों की मौत हो गई. इनमें से ज्यादातर लोग वाहन चलाक या दिहाड़ी मजदूरी थे. इन सभी रात में राठोड़ी गांव की अवैध शराब का सेवन किया. सस्ती शराब पीने वाले लोगों में सुबह से जहर के लक्षण दिखने लगे. सभी उल्टियां करने लगे, उनके पेट में दर्द और आंखों में जलन हो रही थी.

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पश्चिम बंगाल, 2011: पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में जहरीली शराब के सेवन से 172 लोगों की मौत हुई. जांच में पता चला कि पुलिस और नेताओं के संरक्षण में अवैध शराब का कारोबार फल-फूल रहा था. साल 2018 में इस मामले में जिला अदालत ने 4 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

गाजियाबाद-बुलंदशहर, 2010: मार्च 2010 में होली के अवसर पर अवैध शराब के सेवन के 35 लोगों की मौत हो गई. तो वहीं उसी साल फरवरी में वाराणसी के लालपुर में जहरीली शराब का सेवन करने वाले 12 लोगों की मौत हो गई.

गुजरात, 2009: गांधी की धरती गुजरात में शराब प्रतिबंधित होने के बावजूद अवैध शराब का कारोबार चल रहा है. साल 2009 में 136 लोगों की मौत जहरीली शराब के सेवन से हुई. इस बड़ी घटना ने राज्य की सियासत में भूचाल ला दिया जिसके बाद विधानसभा में एक विधेयक जरिए अवैध शराब के कारोबार में दोषियों के मौत की सजा का कानून लाया गया.  

कर्नाटक-तमिलनाडु, 2008: साल 2008 में कर्नाटक और तमिलनाडु में लोगों ने अवैध शराब की दुकान से प्लास्टिक के पाउच में बिकने वाली शराब खरीदी. जिसके सेवन से कुल 180 लोगों की मौत हो गई.

मुंबई, 2004: दिसंबर, 2004 में मुंबई के उपनगरीय इलाके विखरोली में जहरीली शराब के सेवन से 87 लोगों की मौत हुई.

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ओडिशा, 1992: साल 1992 में ओडिशा के कटक में अवैध शराब का सेवन करने वाले 200 लोगों की मौत हो गई. जबकि इस घटना में 600 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

कर्नाटक, 1981: साल 1981 में जहरीली शराब से मौत की अब तक की सबसे बड़ी कर्नाटक के बेंगलुरू हुई जिसमें 308 लोगों की मौत सस्ती शराब पीने से हो गई.

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